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11923322e88b34b40849bf46fd4c071e48c0688ebf4114a9bd8eeb3d36177373 | web | विकास एआई द्वारा संचालित संक्षिप्त सारांश के लिए 'सारांश सामग्री' पर क्लिक करें।
प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को दायर करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि न्याय की प्रक्रिया पुलिस स्टेशन में अपराध का पंजीकरण करने के साथ शुरू होती है। अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट को दायर करने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। भारत के उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने 2008 की रिट याचिका (अपराध) संख्या 68 (ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार तथा अन्य) में अन्य बातों के साथ-साथ, दिनांक 12.11.2013 को दिए अपने निर्णय में यह कहा था, 'संहिता की धारा 154 के अंतर्गत एफआईआर का पंजीकरण अनिवार्य है, यदि सूचना संज्ञान अपराध के घटित होने का प्रकटन करती है और ऐसी स्थिति में कोई प्रारंभिक जांच अनुमत नहीं है।' पीओए अधिनियम के अंतर्गत किए जाने वाले अपराध संज्ञान हैं। ऐसी स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (पीओए) अधिनियम के अध्याय-II, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (संशोधन) अधिनियम, 2015 (2016 की संख्या 1) द्वारा यथा संशोधित संगत उपबंधों के अनुसार क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) अवश्य दायर करनी चाहिए।
मतदान न करने या किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या विधि द्वारा उपबंधित से भिन्न रीति से मतदान करने;
किसी निर्वाचन में अभ्यर्थी के रूप में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के नामनिर्देशन का प्रस्ताव या समर्थन नहीं करेंगे।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी ऐसे सदस्य को जो संविधान के भाग IX के अधीन पंचायत या संविधान के भाग IXक के अधीन नगरपालिका का सदस्य या अध्यक्ष या अन्य किसी पद का धारक है, उसके समान कर्तव्यों या कृत्यों के पालन में मजबूर या अभित्रस्त करेगा।
मतदान के पश्चात्, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को उपहति या घोर उपहति या हमला करेगा या सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार अधिरोपित करेगा या अधिरोपित करने की धमकी देगा या किसी ऐसी लोक सेवा के उपलब्ध फायदों से निवारित करेगा, जो उसको प्राप्य हैं।
किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या उसको मतदान नहीं करने या विधि द्वारा उपबंधित रीति से मतदान करने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के विरुद्ध इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करेगा।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के विरुद्ध मिथ्या, द्वेषपूर्ण या तंग करने वाला वाद या दांडिक या अन्य विधिक कार्यावाहियां संस्थित करेगा।
किसी लोक सेवक को मिथ्या या तुच्छ सूचना देगा जिससे ऐसा लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को क्षति करने या क्षुब्ध करने के लिए करेगा।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को अवमानित करने के आशय से लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर अपमानित या अभित्रस्त करेगा।
लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर जाति के नाम से अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को गाली-गलौज करेगा।
अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के सदस्य द्वारा सामान्यता धार्मिक माने जाने वाली या अति श्रद्धा से ज्ञात किसी वस्तु को नष्ट करेगा, हानि पहुंचाएगा या अपवित्र करेगा।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के विरुद्ध शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाओं की या तो लिखित या मौखिक शब्दों द्वारा या चिह्नों द्वारा दृश्य रूपण द्वारा या अन्यथा अभिवृद्धि करेगा या अभिवृद्धि करने का प्रयत्न करेगा।
अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा अति श्रद्धा से माने जाने वाले किसी दिवंगत व्यक्ति का या तो लिखित या मौखिक शब्दों द्वारा या किसी अन्य साधन से अनादर करेगा।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी स्त्री को साशय यह जानते हुए स्पर्श करेगा कि वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, जबकि स्पष्ट करने का ऐसा कार्य, लैंगिक प्रकृति का है और प्राप्तिकर्त्ता की सहमति के बिना है।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी स्त्री के बारे में, यह जानते हुए कि वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, लैंगिक प्रकृति के शब्दों, कार्यों या अंगविक्षेपों का उपयोग करेगा।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य द्वारा सामान्यतः उपयोग किए जाने वाले किसी स्रोत, जलाशय या किसी अन्य स्रोत के जल को दूषित या गंदा करेगा जिससे वह इस प्रयोजन के लिए कम उपयुक्त हो जाए जिसके लिए वह साधारणतः उपयोग किया जाता है।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को लोक समागम के किसी स्थान से गुजरने के किसी रूढ़िजन्य अधिकार से इंकार करेगा या ऐसे सदस्य को लोक समागम के ऐसे स्थान का उपयोग करने या उस पर पहुंच रखने से निवारित करने के लिए बाधा पहुंचाएगा जिसमें जनता या उसके किसी अन्य वर्ग के सदस्यों को उपयोग करने और पहुंच रखने का अधिकार है।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को उसका गृह, ग्राम या निवास का अन्य स्थान जोड़ने के लिए मजबूर करेगा या मजबूर करवाएगा।
किसी क्षेत्र के सम्मिलित संपत्ति संसाधनों का या अन्य व्यक्तियों के साथ समान रूप से कब्रिस्तान या शमशान भूमि का उपयोग करना या किसी नदी, सरिता, झरना, कुआं, तालाब, कुण्ड, नल या अन्य जलीय स्थान या कोई स्नानघाट, कोई सार्वजनिक परिवहन, कोई सड़क या मार्ग का उपयोग करना;
साइकिल या मोटर साइकिल आरोहण या सवारी करना या सार्वजनिक स्थानों में जूते या नये कपड़े पहनना या विवाह की शोभा यात्रा निकालना या विवाह की शोभा यात्रा के दौरान घोड़े या किसी अन्य यान पर आरोहण करना;
जनता या समान धर्म के अन्य व्यक्तियों के लिए खुले किसी पूजा स्थल में प्रविष्ट करना या जाटरस सहित किसी धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक शोभा यात्रा में भाग लेना या उसको निकालना;
किसी शैक्षणिक संस्था, अस्पताल, औषधालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, दुकान या लोक मनोरंजन या किसी अन्य लोक स्थान में प्रविष्ट होने या जनता के लिए खुले किसी स्थान में सार्वजनिक उपयोग के लिए अभिप्रेत कोई उपकरण या वस्तुएं;
किसी वृत्तिक में व्यवसाय करना या किसी ऐसी उपजीविका, व्यापार, कारबार या किसी नौकरी में नियोजन करना, जिसमें जनता या उसके किसी वर्ग के अन्य लोगों को उपयोग करने या उस तक पहुंच का अधिकार है।
धारा 3(1) के अंतर्गत विनिर्दिष्ट अत्याचारों के अपराधों के लिए, 6 माह से 5 वर्ष तक जुर्माना सहित दंड का प्रावधान है। धारा 3(2)(i) के अंतर्गत अपराधों के लिए मृत्युदंड देने का प्रावधान है। धारा 3(2)(ii) के अंतर्गत अपराधों के लिए कम से कम 6 माह जिसे 7 वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है, जुर्माना सहित दंड देने का प्रावधान है। धारा 3 (2)(iv) के अंतर्गत अपराधों के लिए जुर्माना सहित आजीवन सजा का दंड देने का प्रावधान है। धारा 3(2)(iv)(v) के अंतर्गत अपराधों के लिए जुर्माना सहित आजीवन सजा का दंड देने का प्रावधान है। धारा 3(2)(vक) के अंतर्गत अपराधों के लिए, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 की अनुसूची में विनिर्दिष्ट अपराधों के लिए आईपीसी के अंतर्गत यथा विहित दंड देने का प्रावधान है।
क्रम सं.
कोई अखाद्य या घृणाजनक पदार्थ रखना (अधिनियम की धारा 3(1)(क)
क्रम संख्या (2) और (3) के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के चरण पर 10% और क्रम सं. (1), (4) और (5) के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट के चरण पर 25%।
50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है।
क्रम सं. (2) और (3) के लिए निचले न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषसिद्ध ठहराने पर 40% और इसी प्रकार क्रम सं. (1), (4) और (5) के लिए 25%।
मल-मूत्र, मल, पशु-शव या अन्य कोई घृणाजनक पदार्थ इकट्ठा करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ख)
क्षति करने, अपमानित करने या शुद्ध करने के आशय से मल-मूत्र, कूड़ा, पशु-शव इकट्ठा करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ग)
जूतों की माला पहनाना या नग्न या अर्ध-नग्न घुमाना(अधिनियम की धारा 3(1)(घ)
कपड़े उतारना, बलपूर्वक सिर का मुण्डन करना, मूंछे हटाना, चेहरे या शरीर को पोतना जैसे कार्य बलपूर्वक करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ड.)
किसी भूमि को सदोष अधिभोग में लेना या उस पर खेती करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(च)
किसी भूमि या परिसरों से सदोष वेकब्जा करना या अधिकारों सहित उसके अधिकारों के उपभोग में हस्तक्षेप करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ज)
बेगार करने अथवा अन्य प्रकार के बलात्श्रम या बंधुआ श्रम करने के लिए।(अधिनियम की धारा 3(1)(झ)
मानव या पशु-शव का निपटान करने या उनकी अंतेष्टि ले जाने या कब्रों को खोदने के लिए विवश करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ञ)
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को हाथ से सफाई करने के लिए तैयार करना या ऐसे प्रयोजन के लिए उसे नियोजित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ट)
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की स्त्री को किसी देवदासी के रूप में निष्पादित या संवर्धित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ठ)
मतदान करने, नामनिर्देशन फाइल करने से रोकना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ड)
पंचायत या नगरपालिका के किसी पदधारक को उसके कर्त्तव्यों के पालन में मजबूर, अभित्रस्त या बाधित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ढ)
मतदान के बाद हमला करना और सामाजिक तथा आर्थिक बहिष्कार अधिरोपित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(ण)
किसी विशिष्ट अपराधी के लिए मतदान करने या उसको मतदान नहीं करने के लिए इस अधिनियम के अंतर्गत कोई अपराध करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(त)
मिथ्या, द्वेषपूर्ण या अन्य विधिक कार्रवाइयां संस्थित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(थ)
किसी लोक सेवक को कोई मिथ्या या तुच्छ सूचना देना।(अधिनियम की धारा 3(1)(द)
अवमानित करने के आशय से लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर अपमानित या अभित्रस्त करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(ध)
लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर जाति के नाम से गाली-गलौज करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(न)
धार्मिक मानी जाने वाली या अतिश्रद्धा से ज्ञात किसी वस्तु को नष्ट करना, हानि पहुंचाना अथवा अपवित्र करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(प)
शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाओं की अभिवृद्धि करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(फ)
अति श्रद्धा से माने जाने वाले किसी दिवंगत व्यक्ति का या तो लिखित या किसी अन्य साधन से अनादर करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(ब)
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की किसी स्त्री को साशय स्पर्श करने का ऐसा कार्य, जो लैंगिक प्रकृति का है, उसकी सहमति के बिना करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(म)
भारतीय दंड संहिता की धारा 326(ख)(1860 का 45) स्वेच्छया अम्ल फैंकना या फैंकने का प्रयत्न करना। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
पीड़ित व्यक्ति के चेहरे का 2% से अधिक जलने पर और आंख, कांन, नाक और मुंह के काम न करने के मामले में अथवा शरीर के 30% से अधिक जलने आठ लाख पच्चीस हजार रुपए।
शरीर के 10% से 30% तक जलने पर पीड़ित व्यक्ति को चार लाख पचास हजार रुपए।
चेहरे के अलावा शरीर के 10% से कम भाग के जलने पर पीड़ित व्यक्ति को 85,000/- रुपए।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354(ख)(1860 का 45) -- किसी महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला अथवा आपराधिक बल का प्रयोग। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
भारतीय दंड संहिता की धारा 326(क)(1860 का 45) - लैंगिक उत्पीड़न और लैंगिक उत्पीड़न के लिए दंड। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
भारतीय दंड संहिता की धारा 326(ख)(1860 का 45) - निवस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
भारतीय दंड संहिता की धारा 354(ग)(1860 का 45) - दृश्यरतिकता। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
भारतीय दंड संहिता की धारा 354(घ)(1860 का 45) - पीछा करना।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
भारतीय दंड संहिता की धारा 376(ख)(1860 का 45) - पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ पृथक्करण के दौरान मैथुन। (अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
भारतीय दंड संहिता की धारा 376(ग)(1860 का 45) - प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
भारतीय दंड संहिता की धारा 509(1860 का 45) - शब्द अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित हैं।(अधिनियम की अनुसूची के साथ पठित धारा 3(2)(भक)
पानी को गंदा करना अथवा उसका मार्ग बदलना। (अधिनियम की धारा 3(1)(य)
जब पानी को गंदा कर दिया जाता है तब उसे साफ करने सहित सामान्य सुविधा को बहाल करने की पूर्ण लागत संबंधित राज्य सरकार अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा वहन की जाएगी। इसके अतिरिक्त, स्थानीय निकाय के परामर्श से जिला प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जाने वाली समुदायिक परिसंपत्तियों को सृजित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के पास आठ लाख पच्चीस हजार रुपए की राशि जमा की जाएगी।
किसी लोक स्थान पर जाने से अथवा लोक स्थान के मार्ग को उपयोग करने के रूढ़िजन्य अधिकार से वंचित करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(र)
घर, गांव, निवास स्थान को छोड़ने के लिए बाध्य करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(ल)
अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को निम्नलिखित के संबंध में किसी रीति से बाधित या निवारित करना।
क. किसी क्षेत्र के सम्मिलित संपत्ति संसाधनों का या अन्य व्यक्तियों के साथ समान रूप से कब्रिस्तान या शमशान भूमि का उपयोग करना या किसी नदी, सरिता, झरना, कुआं, तालाब, कुण्ड, नल या अन्य जलीय स्थान या कोई स्नानघाट, कोई सार्वजनिक परिवहन, कोई सड़क या मार्ग का उपयोग करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(क)
ख. साइकिल या मोटर साइकिल आरोहण या सवारी करना या सार्वजनिक स्थानों में जूते या नये कपड़े पहनना या विवाह की शोभा यात्रा निकालना या विवाह की शोभा यात्रा के दौरान घोड़े या अन्य किसी यान पर आरोहण करना।(अधिनियम की धारा 3(1)(za)(ख)
ग. जनता या समान धर्म के अन्य व्यक्तियों के लिए खुले किसी पूजा स्थल में प्रविष्ट करना या जाटरस सहित किसी सामाजिक या सांस्कृतिक शोभा यात्रा में भाग लेना या उसको निकालना।(अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(ग)
घ. किसी शैक्षणिक संस्था, अस्पताल, औषधालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, दुकान या लोक मनोरंजन या किसी अन्य लोक स्थान में प्रविष्ट होने या जनता के लिए खुले किसी स्थान में सार्वजनिक उपयोग के लिए अभिप्रेत कोई उपकरण या वस्तु का उपयोग करना। (अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(घ)
ड. किसी वृत्तिक में व्यवसाय करना या किसी ऐसी उप-जीविका, व्यापार, कारबार या किसी नौकरी में नियोजन करना, जिसमें जनता या उसकी किसी वर्ग के अन्य लोगों को उपयोग करने या उस तक पहुंच का अधिकार है।(अधिनियम की धारा 3(1)(लक)(ड.)
संबंधित राज्य सरकार अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा अन्य व्यक्तियों के समान सभी आर्थिक और सामाजिक सेवाओं के उपबंधों को बहाल किया जाएगा और पीड़ित व्यक्ति को एक लाख रुपए की राहत राशि दी जाएगी। निचले न्यायालय में आरोप पत्र भेजने पर उस राशि का पूर्ण भुगतान किया जाएगा।
निर्योग्यता। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अधिसूचना संख्या 16-18/97-एनआई दिनांक 1 जून, 2001 में उल्लिखित विभिन्न निर्योग्यताओं का मूल्यांकन करने के लिए दिशा-निर्देश और प्रमाणन के लिए प्रक्रिया। अधिसूचना की एक प्रति अनुबंध-II पर है।
(क) 100 प्रतिशत असमर्थता।
(ख) जहां असमर्थता 50 प्रतिशत से अधिक लेकिन 100 प्रतिशत से कम है।
(ग) जहां असमर्थता 50 प्रतिशत से कम है।
(क)50%, चिकित्सा जांच होने और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद।
(ख)50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है।
(क)50%, चिकित्सा जांच होने और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद।
(ख)50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है।
(क)50%, चिकित्सा जांच होने और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद।
(ख)50%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है।
बलातसंग अथवा गैंग द्वारा किया गया बलातसंघ।
(i) बलातसंघ (भारतीय दंड संहिता की धारा 375(1860 का 45)
(ii) गैंग द्वारा किया गया बलातसंघ (भारतीय दंड संहिता की धारा 376घ (1860 का 45)
(i) 50%, चिकित्सा जांच और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद।
(ii) 25%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है।
(iii) 25%, जब निचले न्यायालय द्वारा सुनवाई के समापन पर।
(i) 50%, चिकित्सा जांच और पुष्टि कारक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद।
(ii) 25%, जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाता है।
(iii) 25%, जब निचले न्यायालय द्वारा सुनवाई के समापन पर।
(i) 50%, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद।
(ii) 50%, जब न्यायालय को आरोप-पत्र भेजा जाता है।
हत्या, मृत्यु, नरसंहार, बलातसंग, स्थायी असमर्थता और डकैती के पीड़ितों को अतिरिक्त राहत।
(i) अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति से संबंधित मृतक व्यक्तियों की विधवा या अन्य आश्रितों को पांच हजार रुपए प्रति माह की दर से बेसिक पेंशन जो कि संबंधित राज्य सरकार अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है, और ग्राह्य मंहगाई भत्ता और मृतक के परिवार को एक सदस्य को रोजगार या कृषि भूमि, एक मकान, यदि आवश्यक हो, तो उसकी तत्काल खरीद द्वारा व्यवस्था करना।
(ii) पीड़ित व्यक्तियों के बच्चों की स्नातक स्तर तक की शिक्षा और उनके भरण-पोषण का पूरा खर्चा। बच्चों को सरकार द्वारा वित्तपोषित आश्रम स्कूलों अथवा आवासीय स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा।
(iii) 3 माह की अवधि के लिए बर्तनों, चावल, गेहूं, दालों, दलहनों आदि की व्यवस्था।
पूर्णतः नष्ट किया/जला हुआ मकान।
जहां मकान को जला दिया गया हो या नष्ट कर दिया गया हो, वहां सरकारी खर्चे पर ईंट अथवा पत्थर के मकान का निर्माण किया जाएगा या उसकी व्यवस्था की जाएगी। इस संबंध में और आगे जानकारी प्राप्त करने के लिए उप-मंडलीय मजिस्ट्रेट, जिला मजिस्ट्रेट, राज्य सरकार के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निदेशक और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग से कृपया संपर्क करें।
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34e13faa1ee272c7448e285cd1c21436389ec0af | web | महोदय / महोदया,
कृपया जाली नोट पकड़ने तथा उन्हें जब्त करने से संबंधित 20 जुलाई 2017 तक जारी अनुदेशों को समेकित करते हुए जारी हमारे 20 जुलाई 2017 के मास्टर परिपत्र डीसीएम (एफएनवीडी) सं.जी - 4/16.01.05/2017-18 का संदर्भ लें । मास्टर परिपत्र को अब तक जारी सभी निर्देशों को शामिल करते हुए अद्यतन किया गया हैं और इसे बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध किया गया है।
इस मास्टर परिपत्र में उपरोक्त विषय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को समेकित किया गया हैं, जो इस परिपत्र की तारीख पर प्रचलन में हैं ।
(मानस रंजन महान्ति)
जाली नोट निम्नलिखित द्वारा जब्त किये जा सकते हैं;
काउंटर पर प्रस्तुत किए गए बैंक नोटों को प्रामाणिकता के लिए मशीनों के द्वारा परीक्षण किया जाना चाहिए ।
इसी प्रकार से, बैक ऑफिस / मुद्रा तिजोरी में थोक निविदा के माध्यम से सीधे ही प्राप्त बैंक नोट, मशीनों के माध्यम से प्रमाणीकृत किए जाने चाहिए ।
काउंटर पर प्राप्त नोटों में या बैक ऑफिस / मुद्रा तिजोरी में पहचान किए गए जाली नोटों के लिए, ग्राहक के खाते में कोई क्रेडिट नहीं दिया जाना है ।
किसी भी स्थिति में, जाली नोटों को प्रस्तुतकर्ता को लौटाया नहीं जाना चाहिए अथवा बैंक शाखाओं/ कोषागारों द्वारा नष्ट नहीं किया जाना चाहिये। बैंकों के स्तर पर पता लगाये गये जाली नोटों की जब्ती में असफलता को, संबंधित बैंक की जाली नोटों के संचलन में इरादतन संलिप्तता मानी जाएगी और उन पर दण्ड लगाया जायेगा ।
जाली नोट के रुप में वर्गीकृत नोटों पर निर्धारित (अनुबंध I के अनुसार) "जाली बैंकनोट" स्टैम्प से चिन्हित कर उन्हें जब्त किया जाये । इस प्रकार से जब्त प्रत्येक नोट के ब्यौरे एक अलग रजिस्टर में प्रमाणीकरण के साथ अभिलिखित किये जाएंगे ।
जब बैंक शाखा के काउंटर / बैक ऑफिस तथा मुद्रा तिजोरी अथवा कोषागार में प्रस्तुत बैंकनोट जाली पाये जाते हैं, तब उक्त पैरा 3 के अनुसार नोट पर स्टैम्प लगाने के बाद निविदाकर्ता को निर्धारित फार्म (अनुबंध II) के अनुसार प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी चाहिए । उक्त रसीद चल रहे सिरीयल नंबरों में, खजांची और जमाकर्ता द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए । इस आशय का नोटिस आम जनता की जानकारी के लिए कार्यालयों शाखाओं मे विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए । जहां निविदाकर्ता संबंधित रसीद पर प्रतिहस्ताक्षर करने के लिए इच्छुक नहीं है, ऐसे मामलों में भी प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी है ।
पुलिस को जाली नोट का पता लगने की घटना की रिपोर्टिग करते समय, निम्न प्रक्रिया का अनुपालन किया जाए :
एक ही लेन-देन में 4 पीसेस तक जाली नोटों की पहचान के मामलों में, नोडल अधिकारी द्वारा पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को माह की समाप्ति पर संदिग्ध जाली नोटों के साथ निर्धारित फार्मेट में एक समेकित रिपोर्ट (संलग्नक III के अनुसार) भेजी जाए।
एक ही लेन-देन में 5 या उससे अधिक पीसेस तक जाली नोटों की पहचान के मामलों में, नोडल बैंक अधिकारी द्वारा तुरंत वे जाली नोट, निर्धारित फार्मेट में (संलग्नक IV) एफआईआर दर्ज करते हुए जांच-पड़ताल के लिए स्थानीय पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को अग्रेषित किये जाएं।
मासिक समेकित रिपोर्ट/एफआईआर की एक प्रति बैंक के प्रधान कार्यालय में बनाये गये जाली नोट सतर्कता कक्ष को (केवल बैंकों के मामले में) भेजी जाएगी और कोषागार के मामले में, भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजी जाये ।
पुलिस प्राधिकारियों से उनको मासिक समेकित रिपोर्ट और एफआईआर द्वारा प्रेषित जाली नोटों की प्राप्ति सूचना प्राप्त की जाये । यदि पुलिस को नकली बैंक नोट बीमाकृत डाक द्वारा भेजे गए हैं तो उनकी प्राप्ति सूचना अनिवार्य रूप से ली जाये और उन्हें रिकार्ड में रखा जाए । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति सूचना प्राप्त करने के लिए उचित अनुवर्ती कार्रवाई आवश्यक है । यदि मासिक समेकित रिपोर्टों को प्राप्त करने/ एफआईआर दर्ज करने में पुलिस की अनिच्छा के कारण कार्यालयों / बैंक शाखाओं को किसी भी कठिनाई का सामना करना पड रहा है तो उसका निपटान जाली बैंकनोटों की जांच से संबंधित मामलों की समन्वय हेतु नामित पुलिस प्राधिकरण के नोडल अधिकारी की सलाह से किया जाये । नोडल पुलिस स्टेशन की सूची भारतीय रिजर्व बैंक के संबन्धित कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं ।
जाली नोटों के परिचालन को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों की आसानी से पहचान करने के क्रम में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे बैंकिंग हॉल / क्षेत्र तथा काउंटर को सीसीटीवी की निगरानी तथा रिकॉर्डिंग में रखें तथा रिकॉर्डिंग को संरक्षित रखें ।
बैंकों को ऐसी पहचान के स्वरुप/प्रवृत्तियों पर निगरानी रखनी चाहिए और संदिग्ध स्वरुप/प्रवृत्तियों को तत्काल भारतीय रिजर्व बैंक/पुलिस प्राधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए।
जाली नोटों की पहचान और उक्त की सूचना पुलिस, आरबीआई आदि को देने में बैंकों द्वारा की गई प्रगति और उससे संबंधित समस्याओं पर विभिन्न राज्य स्तरीय समितियाँ अर्थात राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी), करेंसी प्रबंधन पर स्थायी समिति (एससीसीएम) राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति (एसएलएससी), आदि की बैठकों में नियमित रूप से विचार - विमर्श किया जाए ।
बैंक-शाखाओं/कोषागारों में पकड़े गए जाली भारतीय बैंक नोटों के आंकड़े, नीचे दिये गये पैरा- 10 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्गम कार्यालय को प्रेषित की जानेवाली मासिक विवरणियों में शामिल किये जायें।
भारतीय दंड संहिता में "जाली बनाना" की परिभाषा में विदेशी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी करेंसी नोट भी शामिल हैं। पुलिस और सरकारी एजेंसियों से अभिमत /राय देने हेतु प्राप्त संदिग्ध विदेशी करेंसी नोटों के मामलों में, उन्हें यह सूचित किया जाये कि वे उक्त नोटों को नई दिल्ली स्थित सीबीआई की इंटरपोल विंग के पास उनसे पूर्व परामर्श के बाद भेज दें।
बैंकों को अपना नकद प्रबंधन कुछ इस तरह पुनर्निर्धारित करना चाहिये जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ₹ 100 और उससे अधिक मूल्य वर्ग की नकद प्राप्तियों को उन नोटों की मशीन प्रसंस्करण द्वारा प्रामाणिकता की जांच के बिना पुनः संचलन में नहीं डाला जाए। ये अनुदेश दैनिक नकद प्राप्ति के परिमाण को ध्यान में लिए बगैर सभी शाखाओं पर लागू होंगे। इस अनुदेश के किसी भी गैर अनुपालन को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों का उल्लंघन माना जाएगा।
एटीएम मशीनों से जाली नोटों की प्राप्ति संबंधित शिकायतों का निपटान करने और जाली नोटों के संचलन पर रोक लगाने के उद्देश्य से यह अत्यावश्यक है कि एटीएम मशीनों में नोटों को भरने से पूर्व पर्याप्त सुरक्षा उपायों/ नियंत्रणों को लागू किया जाये । एटीएम मशीनों के माध्यम से जाली नोटों का वितरण, संबंधित बैंक द्वारा जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया एक प्रयास माना जायेगा ।
मुद्रा तिजोरी विप्रेषणों /शेषों में जाली नोटों का पाये जाने को भी संबंधित मुद्रा तिजोरी द्वारा जान -बूझकर जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया प्रयास माना जायेगा जिसके परिणामस्वरूप पुलिस प्राधिकरण द्वारा विशेष तहकीकात और अन्य कार्रवाई जैसे संबंधित मुद्रा तिजोरी के प्रचालनों को स्थगित करना, की जा सकती है ।
निम्नलिखित परिस्थितियों में जाली नोटों के अनुमानित मूल्य की मात्रा तक हानि की वसूली के अलावा, जाली नोटों के अनुमानित मूल्य का 100% दंड लगाया जाएगा :
20 जून 2012 के परिपत्र सं.डीपीएसएस.केंका.पीडी.2298/02.10.002/2011-12 के अनुसार व्हाइट लेबल एटीएम मे लोड की गई नकदी की गुणवत्ता तथा उसकी असलियत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्रायोजक बैंक की होगी। 30 दिसंबर, 2016 के परिपत्र सं.डीपीएसएस.केंका.पीडी.1621/02.10.002/2016-17 के अनुसार रिटेल आउटलेट से नकदी प्राप्त की जाती है तो व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर एटीएम द्वारा वितरित किए गए मुद्रा नोटों की गुणवत्ता तथा प्रामाणिकता के लिए स्वयं ही पूर्णतः उत्तरदायी होगा ।
प्रत्येक बैंक जिला-वार नोडल अधिकारी नियुक्त करें और उसकी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और पुलिस प्राधिकरण को दें । पैरा 5 में यथाउल्लिखित, जाली नोट के पहचान की रिपोर्टिंग के मामले, नोडल बैंक अधिकारी के माध्यम से आने चाहिए। नोडल बैंक अधिकारी जाली नोट पाये जाने से संबंधित सभी कार्यकलापों के लिए एक संपर्क अधिकारी के रूप में भी कार्य करेगा।
जाली नोटों के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को बैंक की सभी शाखाओं में प्रचारित करना । इन अनुदेशों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखना । वर्तमान अनुदेशों के अनुसार जाली नोटों की पहचान से संबंधित आंकड़े को समेकित करना और भारतीय रिज़र्व बैंक, एफआईयू - आईएनडी तथा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को प्रेषित करना । पुलिस प्राधिकरण और निर्दिष्ट नोडल अधिकारी के साथ जाली नोटों के मामलों से संबंधित अनुवर्ती कार्रवाई करना।
इस तरह से संकलित जानकारी को बैंको के केंद्रीय सर्तकता अधिकारी से साझा करना तथा उन्हें काउंटरों पर स्वीकृत /जारी किये गये जाली नोटों से संबंधित मामलों की रिपोर्ट देना ।
ऐसी मुद्रा तिजोरियों; जहाँ पर दोषपूर्ण/जाली नोट आदि का पता लगा है, की आवधिक आकस्मिक जाँच करना ।
सभी मुद्रा तिजोरियों/ बैक आफिस में उपयुक्त क्षमता वाली नोट सॉर्टिग मशीनों के प्रचालन को सुनिश्चित करना और जाली नोटों के पता लगाने पर सावधानी पूर्वक निगरानी करना और उक्त का उचित रूप से रिकार्ड रखना । यह सुनिश्चित करना कि केवल छांटे गये और मशीनों से जांचे गये नोट ही एटीएम मशीनों में डाले जायें/ काउंटरों से जारी किये जायें और नोटों के प्रसंस्करण तथा पारगमन के समय आकस्मिक जांच सहित पर्याप्त सुरक्षा उपायों की व्यवस्था ।
जाली नोट सतर्कता कक्ष उपरोक्त पहलुओं को शामिल करते हुए तिमाही आधार पर, संबंधित तिमाही की समाप्ति के पंद्रह दिनों के भीतर, मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, अमर भवन, चौथी मंजिल, सर पी.एम.रोड, फोर्ट, मुंबई - 400001 तथा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के निर्गम विभाग जिसके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत जाली नोट सतर्कता कक्ष कार्यरत हैं, को वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रेषित करें । उपर्युक्त रिपोर्ट ई-मेल द्वारा भेजी जाये। हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
जाली नोट सतर्कता कक्षों के पते को अद्यतन करने के उद्देश्य से बैंक प्रत्येक वर्ष में, 1 जुलाई को अनुसार निर्धारित प्रोफार्मा (अनुबंध V) में ई- मेल से पते आदि आरबीआई को प्रस्तुत करें । हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
जाली नोटों की पहचान सुगम बनाने के लिए सभी बैंक शाखाओं /निर्दिष्ट बैक आफिसों को, अल्ट्रा-वायलेट लैम्प / अन्य उपयुक्त नोट सॉर्टिंग / पहचान वाली मशीनों से सुसज्जित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सभी मुद्रा तिजोरी शाखाओं में सत्यापन, प्रसंस्करण और छँटनी करने वाली मशीनों की व्यवस्था होनी चाहिये और मशीनों का इष्टतम स्तर तक उपयोग होना चाहिये । इन मशीनों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई 2010 में निर्धारित "नोट सत्यापन और फिटनेस सार्टिंग मानदंडो" के अनुरूप होना आवश्यक हैं ।
बैंक, पहचान किये गये जाली नोटों सहित नोट छँटनी मशीनों के माध्यम से प्रसंस्कृत नोटों का दैनिक रिकार्ड रखेंगे ।
बैंकों को जनता के उपयोग हेतु, काउंटर पर नोट गिनने वाली कम से कम एक मशीन (जिसमें दोनों तरफ संख्या प्रदर्शित करने की सुविधा हो), लगाने पर भी विचार करना चाहिए ।
बैंक की सभी शाखाओं द्वारा पता लगाये गये जाली नोटों के आंकड़े मासिक आधार पर निर्धारित प्रारूप में सूचित करना आवश्यक है । माह के दौरान बैंक शाखाओं में पता लगाये गये जाली नोटों के ब्योरे दर्शानेवाला विवरण (अनुबंध VI) संकलित किया जाए और संबंधित रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय को इस प्रकार प्रेषित किया जाये कि वह आगामी माह की 7 तारीख तक उन्हें प्राप्त हो जाये ।
धनशोधन निवारण नियम, 2005 के नियम 3 के तहत, बैंकों के प्रधान अधिकारियों को भी ऐसे नकदी लेन देन, जहां जाली नोटों को असली नोटों के रूप में प्रयोग में लाया गया है, की सूचना, सात कार्यदिवस के अंदर, निदेशक, एफआईयू आईएनडी, वित्तीय खुफिया ईकाई-भारत, 6वीं मंजिल, होटल सम्राट, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021 को, FINnet पोर्टल पर सूचना अपलोड करके करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार, एफआईसीएन की पहचान के आंकड़े नैशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की बेबसाईट के वेब आधारित सॉफ्टवेयर पर भी अपलोड किए जाएँ।
माह के दौरान किसी जाली नोट की पहचान नहीं किये जाने की स्थिति में 'निरंक' विवरणी भेजी जाये ।
पुलिस प्राधिकरण / न्यायालयों से पुनः प्राप्त सभी जाली नोटों को बैंक की अभिरक्षा में सावधानीपूर्वक परिरक्षित किया जाये और संबंधित शाखा द्वारा उक्त का रिकार्ड रखा जाये। बैंक के जाली नोट सतर्कता कक्ष को भी ऐसे जाली नोटों का शाखावार समेकित रिकार्ड रखना होगा ।
इन जाली नोटों का सत्यापन संबंधित शाखा के प्रभारी अधिकारी द्वारा छमाही (31 मार्च और 30 सितंबर) आधार पर किया जाना चाहिये । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति की तिथि से इन जाली नोटों का तीन वर्ष की अवधि के लिए परिरक्षण किया जाना चाहिये।
इसके पश्चात पूर्ण ब्योरे के साथ इन जाली नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजा जाये ।
जाली नोट जो न्यायालय में मुकदमेबाजी के अधीन हैं उन्हें न्यायालय निर्णय के बाद संबंधित शाखा के पास तीन वर्ष तक रखा जाए ।
यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि बैंकों और कोषागारों / उप- कोषागारों में नकदी व्यवहार करनेवाला स्टाफ, बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं से पूरी तरह परिचित हो ।
जाली नोट की पहचान के संबंध में बैंक -शाखा के कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से अनुबंध - VII में दर्शाये गये बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताएँ तथा डिज़ाइन सभी बैंकों / कोषागारों को इस निर्देश के साथ भेजे गये हैं कि वे इन्हें आम जनता की जानकारी के लिए प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करें । शाखाओं के स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए 2005-06 श्रृंखला के बैंकनोटों के पोस्टरों की आपूर्ति की गयी है। रू. 2000/-, रू.500/-, रू. 200/- तथा रू. 50/- के नए डिजाईन के बैंक नोट की सुरक्षा विशेषताओं का विवरण https://www.paisaboltahai.rbi.org.in/ लिंक पर उपलब्ध है।
अन्य बैंक नोटों का विवरण भी उपरोक्त लिंक के "अपने नोट को जानिए" के तहत उपलब्ध है।
प्राप्ति के समय ही, जाली नोटों का पता लगाने में स्टाफ सदस्यों को सक्षम बनाने हेतु, नियंत्रक कार्यालयों /प्रशिक्षण केंद्रों को बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करने चाहियें । बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नकदी का लेन-देन करनेवाले सभी बैंक कर्मी, वास्तविक भारतीय बैंक नोटों की विशेषताओं के संबंध में प्रशिक्षित हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक भी, संकाय सहायता और प्रशिक्षण सामग्री प्रदान करेगा।
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d4e9b1eb199e1d0336e9c9744353c94dda94cb5981e7756e1160c296279f0a7d | pdf | तारीखे गुंजरात
क्षेत्र में था तो यह अतिम युद्ध है अन्यथा वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जो बिना युद्ध किये चला जाय। जनत आशियानी ने आदेश दिया कि, "लाशी के बीच में ढूंढा जाय, सम्भवत कोई व्यक्ति जीवित मिल जाय जिससे इस बात की जांच की जा सके।" एक व्यक्ति जीवित मिला। उससे पूछा गया कि, "क्या एमादुलमुल्य स्वयं युद्ध के समय था ?" उसने कहा कि, "हाँ ।" खुदावन्द खा ने निवेदन किया कि, "यह अतिम युद्ध था । अब किसा में शाही सेना से युद्ध करने का सामर्थ्य नही ।"
हुमायूँ का माडू की ओर प्रस्थान
क्योंकि अहमदाबाद अस्करी मीज़ को प्रदान हो चुका था अत उसने निवेदन किया कि, "यदि हज़रत जहाँबानी सीधे अहमदाबाद में प्रविष्ट हो जायेंगे तो नगर नष्ट-भ्रष्ट हो जायेगा।" इस कारण उन्होंने अस्वरी मर्ज़ा को अहमदाबाद जाने की अनुमति दे दी और स्वय अहमदाबाद के बाहर बतवा होते हुए सरखीज में पडाव किया। तीसरे दिन दरबार के विश्वासपात्री सहित (२९) उन्होने अहमदाबाद की सैर की यादगार नासिर मोर्ज़ा को पटन नामक वस्वा प्रदान कर दिया, कासिम हुसेन खा का भरौंच और हिन्दू वेग को ५-६ हजार अश्वारोहियो सहित वुमन हेतु नियुक्त कर दिया कि जहाँ कहीं कोई विद्रोह हो वह सहायता हेतु पहुँच जाये और दानुओ को नष्ट करने का प्रयत्न करे । वे स्वय सूरत, जूनागढ तथा बन्दरदीव की ओर रवाना हुए। मार्ग के मध्य से लौटकर चाम्पानीर तथा अहमदाबाद को अपने वायी ओर करते हुए बुरहानपुर को पार किया । वहाँ से मन्दू पहुँचे।
मुगुलो को गुजरात में पराजय
जब इस प्रकार ३-४ मास व्यतीत हो गये तो सुल्तान के अमीरी में से खाने जहाँ शोराजी ने नौसारी में एक दृढ स्थान बनाकर सेना एकत्र करना प्रारम्भ कर दिया। वहां से निकल कर उसने कासिम हुसेन खा के सम्बन्ध अब्दुल्लाह साऊजवेव से युद्ध किया और उसे नौसारी से निकाल दिया । सैयिद इस्हाक न पहुँच कर खम्वायत पर अधिकार जमा लिया और वे दोनो ओर सेनाए एकत्र करने लगे । रूमी ना, जिसके अधिकार में मूरत नामक बन्दरगाह था, खाने जहाँ से मिल गया और समुद्र के मार्ग से युद्ध हेतु भरौच के विरुद्ध जहाज भेजे । खाने जहाँ खुशकी वे मार्ग से चला । कासिम हुसेन खा मुवावला न कर सका और भरोंच से भागवर चाम्पानीर पहुँच गया। उन लोगोने भरौंच पर अधिकार जमा लिया और सैयिद लाद जियू ने, जो बरोदा के आमपास था, उस नगर को जो दौलताबाद पहलाता है, अपने अधिकार में कर लिया। दरियाँ खा तथा मुहाफिजुल मुल्य रायसेन वे विले में थे । यहाँ से वे पटन की ओर रवाना हुए। अस्करी मोर्जा ने यादगार मोर्जा के पास आदमी भेजे विक्योकि गुजराती लोग पटन के समीप पहुँच गये है अत यह उचित होगा कि तुम अहमदाबाद की ओर रवाना हा ताकि हम लोग मिलकर युद्ध करें । यादगार नासिर मोर्जा ने उत्तर लिखा कि, "मै तुमसे महायता नहीं चाहता। मुझमें इतनी शक्ति है कि मै इनसे युद्ध पर मवें । यदि मै अहमदाबाद आता हूँ तो पटन हाथ से निकल जायगा। मुझसे अहमदाबाद आने का आग्रह न करो।" मीज अस्करी ने उसके बुलाने पर जोर दिया और आग्रह किया कि, "यदि तू न आयेगा तो पादशाह का विरोधी समझा जायेगा।" वह विवश होकर पटन का छोडनर अहमदाबाद पहुँचा। जब भरोच, सम्वायत, पटन तथा वरीदा गुजरातियों के हाथ (३०) में आ गये तो उन्होंने सभी स्थानों से मुल्तान बहादुर के पास बन्दर दीव में पत्र भेजे कि,
मुगुल कालीन भारत - हुमायं
"हम लोगो ने पादशाह के प्रताप से इतने थानों को मुगलों से छीन लिया है। समस्त मुगुल अहमदाबाद में एकत्र होगये है। यदि विजयी पताकाएँ प्रस्थान करें तो हम थोडे से परिश्रम से अहमदाबाद से भी उन्हें निकाल देंगे।" सुल्तान बहादुर, जोकि इस अवसर की खोज में था, इसको बहुत बडी देन समझकर तत्काल अहमदाबाद की थोर रवाना हो गया। चारों ओर से सेनायें एकत्र होने लगी । वह सरखोज पहुँचा । उसको सेना में नित्य प्रतिवृद्धि होने लगी । अस्करी मीर्जा, यादगार नासिर मोर्जा, कासिम हुसेन सा एव हिन्दूबेग ने, अहमदाबाद के किले से निकलकर असावल की ओर, जो कि सरखीज के समक्ष है, सुल्तान बहादुर के मुकाबले में पडाव कर दिया । ३-४ दिन उपरान्त वे अकारण तथा विना युद्ध किय हुए घाम्पानीर की ओर चल खडे हुए । सुल्तान ने पीछा किया । संयिद मुबारक तथा उलुग खा को हिरावल नियुक्त किया । मीर्जाओ की सेनाओं के पोछे के भाग मे नासिर मोर्जा था। उसने पलटकर महमूदाबाद में युद्ध किया । यादगार (नासिर ) मोर्ज़ा घायल हो गया। वह पुन लौटकर मोर्चाआ के पास पहुँचा। क्यों कि वर्षा ऋतु आ गई थीअत सुल्तान ने महमूदाबाद के महलों में पडाव किया । मोर्जा लोग वडी तेजी से यात्रा कर रहे थे । नाले तया नदियों में बाढ आ गई थी। कोलियो तथा वासियों ने प्रत्येक दिशा से लूटमार प्रारम्भ वर दी थी। पाडे तथा खेमें वर्षा की अधिकता के कारण नष्ट हो गये और कुछ जल में डूब गये । सक्षेप में, वे अत्यधिक कठिनाई झेलते एव बडी अव्यवस्थित दशा में एमादुलमुल्क के ताल व पास, जो चाम्पानीर के किले के नीचे है, पहुँचे । उनके पास बहुत कम संख्या में में थे। यादगार नासिर मोर्ज़ा ने फकोर के खेमे में पड़ाव किया । तरदी बॅग खा किले के नीचे उतरा और वह प्रत्येक मोजां की सेवा में उपस्थित हुआ और प्रत्येक को घोड़े भजे तथा आतिथ्य किया। दूसरे दिन मोर्जा लोग एकत्र हुए और उन्होंने हिन्दू बेग से परामर्श किया कि हम जनत आशियानी को क्या मुह दिखायेंगे । मन्दू ६-७ दिन को यात्रा की दूरी पर है अत यह उचित होगा कि किले के ऊपर (३१) जाखजाना है उसे तरदो बग से ले लें और तैयारी करके पुन सुल्तान से युद्ध करें ।" मीर्जाओ म से प्रत्येक ने अपने वकील तरदी बंग खा के पास भेजे और कहलाया कि, "क्योकि सेना की दशा बड़ी ख़राब हो गई है अत यह आवश्यक है कि हम लश्कर को आश्रय प्रदान करें और पुन सुल्तान बहादुर पर आक्रमण करे । किले के ऊपर अत्यधिक खजाना है। थोडा सा हमें भेज दो ताकि तैयारी करके वापस हो ।" तरदो बेग ने स्वीकार न किया और उत्तर भेजा कि, "मै विना आदेश के नहीं दे सकता।" इसी बीच में सुल्तान बहादुर महमूदाबाद से आगे बढकर महेन्द्री नदी के तट पर, जो चाम्पानीर से १५ कुरोह पर है, पहुँच गया। दूसरे दिन तरदी बेग खा किले से नीचे उतर कर मोर्खाओं को सेवा में जा रहा था कि उसका एक विश्वासपात्र जो कि मोर्जाओ के पास से आ रहा था, मार्ग में मिल गया। उसने उसके कान में कहा कि, "मोर्ज़ाओं ने तुझे वन्दी बनानवी योजना बना ली है।" तरदी बेगखा के हृदय में आया कि बिना पता लगाये हुए वापस हाना तथा किले के ऊपर पहुँच जाना उचित नही । वहु फकोर के घर में उतर पडा और लोगो को इस आदाय से भेजा कि वे पता लगाकर आयें । अन्त में जब उसे विश्वास हो गया कि यह सत्य है तो वह लौटवर किले के ऊपर पहुँचा और उसने मदेश भेजा कि, "आप लोग यहाँ से मन्द्र चले जायें।"
१ लेखक ।
क्योंकि मोजओ को दशा बडी शोचनीय हो गई थी अत उन्होंने मिलकर निश्चय किया कि अस्करी मोर्जा वादशाह वर्न और हिन्दू वेग उसका वकील । अन्य मोर्ज़ाओ के नाम पर बहुत वडी-वडी विलायते रक्खी गईं । उन्होंने प्रतिज्ञा की तथा वचनबद्ध हुए विन्तु तरदी वेग इस बात का आग्रह करता रहा कि वे शीघ्र मन्द्र चले जाये और इसी उद्देश्य से उसने मोर्ज़ाओ को सेना पर तोप चलाई। वे लोग ५-६ दिन उपरान्त इस आशय से रवाना हो गये कि घाट करजी से होते हुए आगरे चले जायें और उसे अधिकार में कर ले। सुल्तान बहादुर को ज्ञात हुआ कि मोर्ज़ा लोग चल दिये तो वह भी महेन्द्री नदी से आग बढा । जब तरदी बेग ने सुना कि मुल्तान किले को ओर आ रहा है तो वह जितना खजाना ले जा सकता था उसे लदवाकर किले से नीचे उतरा और पाल के मार्ग से जिधर से ६ दिन में मन्दू पहुँचा जा सकता है, जात आशियानी को सेवा में रवाना हो गया। सुल्तान बहादुर चाम्पानीर पहुँचा। मौलाना महमूद लारी तथा (३२) अन्य मुगुली को, जो रह गये थे, उनकी श्रेणी के अनुसार आश्रय प्रदान किया तथा सरोपा, घोडे एव खर्च देकर उन्हें वहाँ से चले जाने की अनुमति दे दी। जितना खज़ाना शेप रह गया था उसे अपने अधिकार में वर लिया। कुछ लोगो का यह विश्वास है कि कुछ स्थानो का खजाना अब भी उसी प्रकार सुरक्षित है।
हुमायं का आगरा पहुँचना
तरदो वेग खा ने जन्नत आशियानो को मीर्जाओं की योजना तथा जो कुछ उन्होंने निश्चय किया था, उसको सूचना दी। वे तत्वाल मन्दू से रवाना होकर हिन्दुस्तान पहुँचे ताकि मीजओ के पहुँचने एवं उनके विद्रोह करने के पूर्व वे आगरे पहुँच जाय और वहाँ उपद्रव की अग्नि को न भडक्ने दें। सयोग से करजी नामक घाट पर मोर्जाओ की जनत आशियानी से भेट हो गई। वे उनकी सेवा में उपस्थित हुए और कोई भी सफलता न प्राप्त करके आगरे की ओर उनके साथ-साथ रवाना हुए।
मुहम्मद जमान द्वारा गुजरात पर अधिकार जमाने का प्रयत्न
(३६) मुहम्मद ज़मान मोर्ज़ा को सुल्तान बहादुर ने मुगुलो के प्रभुत्व के समय इस आशय से हिन्दुस्तान भेज दिया था कि वह समस्त राज्य में विघ्न डाले। वह लाहौर तक पहुँचवर बहुत बडे उपद्रव का कारण बना । जब जनत आशियानी आगरे लौट गये तो वह पुन अहमदाबाद पहुँचा विन्तु इसी बोच में उसे सुल्तान बहादुर की हत्या के समाचार प्राप्त हुए । वह मार्ग से शीघ्रातिशोघ्र इस आशय मे बन्दरदीव पहुँचा कि फिरगियो से सुल्तान बहादुर के खून का बदला ले। वह इस भेस में सुल्तान बहादुर को माता के समक्ष उपस्थित हुआ। वह काले वस्त्र धारण किये हुए था और उसको सेना के उच्च पदाधिकारी भी वाले वस्त्र पहिने हुए थे। सुल्तान बहादुर की माता ने तीन सौ सरोग मुहम्मद जमान मोर्जा हेतु भेजे और उसे उस नीले वस्त्र से निकाल कर विदा घर दिया। वह दीव को ओर रवाना हुआ। खजाना उसके पीछे-पीछे था । जब खजाना पहुँच गया तो उसने सब पर अधिकार कर लिया। उसका उद्देश्य यही था कि खजाना अधिकार में
१ सुल्तान बहादुर की मृत्यु के विवरण का अनुवाद नहीं किया गया ।
मुगुल कालीन भारत - हुमायं
वरले । यह प्रसिद्ध है वि सात सौ सोने से भरे हुए सन्दूक थे । उसने हब्शी तथा तु दासी को, जो खजाने को रक्षा हेतु नियुक्त थे, सबही को प्रोत्साहन दिया। मुगुल लोग उदाहरणार्थ गजन्फर बेग तथा अन्य लोग सब के सब मुहम्मद जमान मोर्जा की सेवा में उपस्थित हुए। उसके पास १०-१२ हजार उत्तम अश्वारोही एकत्र हो गय । खजाने की धन-सम्पत्ति सबवाबांट दी गई। क्योंकि वहु विलासप्रिय व्यक्ति था अत वन्दरदीव के आसपास भोगविलास में व्यस्त हो गया । नाना प्रकार के भोजन तथा पेय एकत्र किये जाते और वह उनसे लाभान्वित होता । उसके हृदय में आया कि गुजरात की सल्तनत पर अधिकार जमा ले। यदि वह उस अवसर से लाभ उठाकर शोघ्रातिशीघ्र अहमदाबाद चला जाता और राजधानी पर अधिकार जमा लेता तो गुजरात वे राज्य पर भी अधिकार जमा लेता किन्तु भग, अफीम, मंदिरा में ग्रस्त रहने के कारण उसने फिरगिया वो हजारी, लाखो तथा करोडा इस आशय से घूम में दे दिये कि वेत्रवार के दिन उसके नाम का सुखा पड़वाने को अनुमति दे । इतने अधिक जाने तथा सेना के बावजूद वह कोई भी सफलता ने प्राप्त वर सका। यदि वह ऐसी सेना को लेकर शोघ्रातिशोध अहमदाबाद चला जाता तो गुजरात वाले (३७) तैयार न हो सकते थे और सल्तनत उसे प्राप्त हो जाती विन्तु यह भाग्य की बात है जिसे भी प्राप्त हो जाय
जब ( गुजरात के) अमीरी को, जो अहमदाबाद में थे, यह समाचार प्राप्त हुए कि उसने बन्दरदीव में अपने नाम का खुबा पढवा दिया है और खजाने तथा सेना पर अधिकार जमा लिया है तो उन्होंने निश्चय किया वि जन वह अहमदावाद की आर रवाना हो तो वे नगर को खाली वर दे और प्रत्येक किसी न किमी दिशा को चला जाय एवं विश्वस्त लोग मुहम्मद जमान मोर्जा से भेंट करें। इसी बीच में एमादुलमुल्ल, जिसने प्रारम्भ में अस्करी भीर्जा से युद्ध किया था, दरवार में उपस्थित हुआ और इरितयार सा तथा अफजल वेग से, जो कि सुल्तान के प्रतिष्ठित वकील थे, कहा कि, "आप लोग राज्य का हित विस बात में समझते है ?" जब उसने उन लोगो के साहम मे क्मी देगी तो कहा कि, "आप लोग वकील है, मैं दास हूँ। जिस प्रकार में सुल्तान का दाम या उसी प्रकार आप लोगो का दाम बनने के लिए कटिवद्ध हूँ । इस दरिद्र मुगुल वे समक्ष सिर झुकाना एवं उसे सल्तनत प्रदान करना मर्यादा के विरुद्ध है। गुजरात के सुल्तानी के दासो में से मं जोवित हूँ। आप लोग मुहम्मद जमान मीर्जा के समक्ष, जा कि हमार पादशाह का सेवक था, अपने सिर भूमि पर रक्खें, यह वडी लज्जा की बात है।" इन लोगों ने उत्तर दिया कि, "मलिक् तू जानता है कि गुजरातियों को क्या दशा हो गई है ? उनमें कोई साहस नहीं रहा है। वे निरन्तर कष्टों का सामना करते रह है। हमारा सुल्तान शहीद हो गया है। खजाने मुहम्मद जमान वे हाथ में पहुँच चुके हूँ। अब क्या हो सकता है ? इतने गुजराती वहाँ से प्राप्त हो सकते हैं जो १०-१२ १०- १२ हजार मुगुलो का, जो कि मुफ्त के खजाने से समृद्ध हो गये है, मुचावला कर सकें ? " उमने उत्तर दिया "कि आप लोग साहस से काम ले । अहमदाबाद नगर में रहे। मुझे नियुक्त करके से पूर्ण अधिकार प्रदान कर दें और राज्य के उत्तराधिकारी की ओर से वकालत का खिलअत एव सरोपा मुझे प्रदान कर दे। मैं पादशाही कूरको अभिवादन करके प्रस्थान करूंगा। यदि मै मुहम्मद जमान मोर्जा बोदड न दे सकूँगा तो में अपने आप को गुजरात के वादशाही का नमकहराम समभूंगा । मुझे विश्वास है कि यदि में उससे युद्ध कर सका तो उसे बन्दी बना लाऊँगा। यदि वह गुजरात के बाहर चला गया तो विना युद्ध किये ही हमारा उद्देश्य पूरा हो जायेगा ।" इन वकीलो ने उसके
साहस एवं पौरुष को देखकर उसको यह शर्तें स्वीकार कर ली कि वह सेना को जो (३८) जागोर प्रदान करेगा वह मान्य होगी। उस समय उसके पास ९ अश्वारोही थे । यह नगर से निकलकर नदी के उस पार उस्मानपुर में ठहरा । जागीर प्रदान करने तथा लश्कर एक्त्र करने की घोषणा करने सेना एकत्र करने में व्यस्त हो गया। जो कोई तीन घोडे ले आता और चेहरे लिखवाता तो उसे एक लाख तन्के जागीर में दे दिये जाते। यहाँ तक कि एक मास में लगभग ४० हज़ार अश्वारा ही तैयार हो गये ।
मुहम्मद जमान मोर्खा का पलायन
जब एमादुलमुल्क ने अपनी सेना की सख्या ४० हजार से अधिक वर लो तो मुहम्मद जमान के विरुद्ध रवाना हुआ । उसका विचार था कि वह भी उसका मुकाबला करेगा। वह अपने स्थान से न हिला । एमादुलमुल्व का साहस और भी बढ़ गया । वह शोघ्रातिशीघ्र उनके विरुद्ध पहुँचा। गुहम्मद जमान ने खाईं खोद कर अरावा तैयार कर लिया। हुसामुद्दीन मोरक वल्द मीर खलीफा ने, जो वि मुहम्मद जमान मोर्चा का वकील तथा सिपहसालार था, निक्ल कर थोडा बहुत युद्ध किया किन्तु फिर पुन अरावे में प्रविष्ट हो गया। गुजरात की सेना ने अवरोध कर लिया। तीसरे दिन (३९) वे पक्तियाँ मुव्यवस्थित करके अरावी तथा खाई के विरुद्ध रवाना हुए। मुहम्मद जमान खजाना लेकर पोछे से बाह्र निवल गया । मोर हुसामुद्दीन मीरक गुजरात की सेना के साथ युद्ध में व्यस्त था और मुहम्मद जमान कुशलतापूर्वक निकल कर सिंध की ओर रवाना हो गया। एमादुलमुल्क ने विजय प्राप्त कर ली । मोरव, मुहम्मद ज़मान के पास पहुँच गया।
मुहम्मद ज़मान कुछ समय तक सिंघ में रहा । अन्ततोगत्वा वह जन्नत आशयको सेवा मे पहुँचा और निष्ठावान् सेवका में सम्मिलित हो गया। वह शेरशाह से युद्ध के समय मारा गया । कुछ लोगो का मत है कि वह नदी में डूब गया किन्तु कुछ लोगों का मत है कि उसकी युद्ध में हत्या हो गई। |
8f8707ea2939b71902396d4cc2e51bfdf2efcd78 | web | भूतविद्या क्या है?
अध्यात्मवाद की बात करें तो ज्यादातर लोगयह भावना कॉल, दिवंगत रिश्तेदारों और प्रसिद्ध लोगों के साथ संचार प्रस्तुत करता है जिन्हें रहस्यमय फिल्मों में देखा गया है। इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि वास्तव में आध्यात्मिकता क्या है, इसकी उत्पत्ति कहां और कब हुई, भविष्य में इसका विकास कैसे हुआ।
"अध्यात्मवाद" शब्द लैटिन स्पिरिटस से बना था, जिसका अर्थ है "आत्मा, आत्मा," और इसका अर्थ है धार्मिक और दार्शनिक सिद्धांत।
एक शिक्षण के रूप में आध्यात्मिकताः यह क्या है?
अध्यात्मवाद की रहस्यमय शिक्षाओं का सार हो सकता हैइस धारणा के रूप में सूत्रबद्ध करें कि किसी व्यक्ति का आध्यात्मिक अंग शरीर की शारीरिक मृत्यु के बाद भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है। इसके अलावा, यह एक नियम के रूप में, एक मध्यस्थ के माध्यम से रहने वाले के साथ संवाद करने में सक्षम है। इस सिद्धांत के अनुयायियों का दावा है कि आत्माएं प्राकृतिक घटनाओं और संपूर्ण भौतिक सार को नियंत्रित करती हैं। बुरी आत्माओं की सहायता से किए जाने वाले जादू के टोटकों को जादू टोना कहा जाता है। बाइबल और, तदनुसार, चर्च स्पष्ट रूप से आध्यात्मिकता के सभी रूपों की निंदा करता है।
इस प्रवृत्ति के शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकेइतिहास हजारों साल लंबा है। यह प्राचीन यूनानियों और रोमनों द्वारा अभ्यास किया गया था, अध्यात्मवाद का विचार मध्य युग में जाना जाता था, हालांकि इसके लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। आधुनिक के अध्यात्मवाद का इतिहास 1848 से गिना जाता है। प्राचीन शिक्षाओं को ग्वाड्सविले (न्यूयॉर्क) शहर में पुनर्जीवित किया गया था। इस समय, एक निश्चित जॉन फॉक्स ने एक घर किराए पर लिया, जिसमें जल्द ही अजीब खटखटाहट सुनाई देने लगी, जिसकी उत्पत्ति घर के निवासियों के लिए स्पष्ट नहीं थी।
मार्गरेट, फॉक्स की बेटी, वापस दस्तक दी औरकिसी अज्ञात बल के संपर्क में आया। लड़की एक पूरी वर्णमाला बनाने में कामयाब रही, जिसके माध्यम से उसने रहस्यमय मेहमानों के साथ संवाद किया और उन सवालों के जवाब प्राप्त किए जो उसे सबसे ज्यादा चिंतित करते थे। संभवतः, हमारे कई पाठक इस घटना को साधारण की संख्या तक सीमित कर देंगेः एक अतिरंजित लड़की ने अपनी कल्पनाओं और संवेदनाओं को वास्तविकता के रूप में लिया, बस।
और हम इससे सहमत हो सकते हैं यदिकुछ समय बाद आध्यात्मिक चमत्कारों ने संयुक्त राज्य अमेरिका और बाद में पूरी दुनिया को पीछे नहीं छोड़ा। एक छोटे से अमेरिकी घर में एक दस्तक "पहुंच" और दूर के देशों, जिनमें से कई ने आध्यात्मवाद के अध्ययन के लिए विशेष संस्थान और स्कूल बनाए थे, जो भविष्य के माध्यमों के प्रशिक्षण में लगे थे। वैसे, दुनिया भर में आज उनकी संख्या एक मिलियन से अधिक है। और ये केवल "प्रमाणित" विशेषज्ञ हैं।
1850 में, अपसामान्य घटना किएक नीचता पर हुआ, एलन कारडेक का अध्ययन करना शुरू किया। उन्हें एक दोस्त की बेटियों द्वारा मदद की गई थी, जिन्होंने माध्यम के रूप में काम किया। अगले मौके पर, उन्हें अपने "मिशन" के बारे में बताया गया, जो यह था कि उन्हें दुनिया की संरचना के बारे में नए विचारों से मानव जाति को परिचित कराना चाहिए।
कारडेक को तुरंत अपने चुनाव पर विश्वास था औरअध्यात्मवादी संवादों के आधार पर उनके "पवित्रशास्त्र" को बनाने के बारे में, "आत्माओं" से सवाल पूछना और उत्तर को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड करना उन्हें ताली या नॉक (एक पारंपरिक कोड का इस्तेमाल किया गया था) या एक आध्यात्मिक बोर्ड के अनुसार तैयार किया गया था।
दो साल बाद, कार्दक को विश्वास था कि उसे प्राप्त हुआ थामानव जाति के उद्देश्य और नियति को "ब्रह्मांड का एक नया सिद्धांत" बनाने के लिए आवश्यक मात्रा में जानकारी। इस प्रकार, उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुईंः "द बुक ऑफ़ स्पिरिट्स" (1856), "द बुक ऑफ़ मीडियम" (1861), "द गस्पेल इन द इंटरप्रिटेशन ऑफ स्प्रिट्स" (1864), और कुछ अन्य। हालांकि, यह माना जाना चाहिए कि एलन कारडेक के विचारों को पादरी की कठोर आलोचना के अधीन किया गया था, और यहां तक कि आध्यात्मिकता के प्रशंसक भी उनके साथ पूरी तरह से सहमत नहीं थे।
अध्यात्मवाद के विचार ने विशेष लोकप्रियता प्राप्त कीअत्यधिक विकसित देश - इंग्लैंड, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली में, मुख्य रूप से उच्च समाज और बुद्धिजीवियों में। इसलिए, यह दावा किया जाता है कि समाज के पिछड़े वर्गों के माध्यमों पर विश्वास किया जाता है।
अध्यात्मवादी दावा करते हैं किः
- मृत्यु के बाद मानव आत्मा का अस्तित्व बना रहता है, यह अमर है।
- एक अनुभवी माध्यम की मदद से कोई भी कर सकता हैमृतक रिश्तेदार या किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की आत्मा को बुलाना सीखें, और उससे संपर्क करें, उससे आवश्यक सलाह, मदद या अपने भविष्य को जानें।
- मृतकों पर कोई दैवीय निर्णय नहीं है, सभी लोग, चाहे वे जीवन कैसे भी हों, मृत्यु के बाद आत्मा की अमरता को पा लेंगे।
कार्दकोवसोगो आध्यात्म का विचार यही थायह आध्यात्मिक विकास पुनर्जन्म (पुनर्जन्म) के कारण है। सांसारिक मांस में "कपड़े पहने", आत्माओं को शुद्ध किया जाता है और सुधार किया जाता है, इस दुनिया में लौटकर, फिर से सांसारिक परीक्षणों को सहन करता है। एक आत्मा जो पुनर्जन्म के सभी चरणों से गुजरी है, "शुद्ध" बन जाती है और अनन्त जीवन प्राप्त करती है। सांसारिक जीवन में उसके द्वारा अधिग्रहित सब कुछ (कार्देक के अनुसार) नहीं खोया है। कार्देक ने दावा किया कि उन्होंने स्वयं "आत्माओं" की रिपोर्टों के आधार पर इस अवधारणा का गठन किया।
अध्यात्मवाद एक प्रकार का धर्म हैअपने अनुयायियों से पूर्ण आज्ञाकारिता की मांग करता है, बदले में अमरता का वादा करता है। यह मूल रूप से यीशु मसीह की शिक्षाओं के विपरीत है। इसलिए, यह तर्क दिया जा सकता है कि अध्यात्मवाद अपने मुख्य सिद्धांतों के साथ मसीह और ईसाई धर्म का खंडन है। इसका श्रेय काले शैतानी दर्शन को दिया जा सकता है।
अध्यात्मवाद सत्र कैसा है?
इस अनुष्ठान और विशेष की स्पष्ट सादगीशानदारता ने ऐसे सत्रों को उन लोगों के बीच बड़ी लोकप्रियता दिलाई जो अज्ञात में रुचि रखते हैं। अध्यात्मवाद आमतौर पर कई लोगों द्वारा संचालित किया जाता है। वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए, यह आवश्यक है कि प्रतिभागियों में से कोई एक माध्यम हो या कम से कम उपयुक्त योग्यता और इस तरह के सत्र के संचालन में कुछ अनुभव हो।
संस्कार रात के बारह बजे शुरू होता है औरसुबह चार बजे तक रहता है। उनके सांसारिक जीवन (उदाहरण के लिए, जन्मदिन या मृत्यु) के दौरान कुछ दिनों के बाद आत्मा की आत्माओं को कॉल करना उचित है। आत्माओं का आह्वान, माध्यमों के अनुसार, पूर्णिमा का पक्षधर है, जो माध्यम की अलौकिक क्षमताओं को बढ़ाता है।
सत्र के लिए चयनित मंद कमरा है, के साथमोमबत्तियों और धूप की बहुतायत। परंपरा से, सत्र में भाग लेने वाले खिड़की या दरवाज़े को छोड़ देते हैं, ताकि कुछ भी कमरे में प्रवेश करने से आत्मा को रोक न सके। यह वांछनीय है कि आइटम हैं जो विकसित आत्मा से जुड़े हैंः तस्वीरें, तावीज़, चित्र,
मोमबत्तियों के अलावा, धूप, विभिन्न वस्तुओं,मृत व्यक्ति के साथ, अध्यात्मवाद के लिए एक बोर्ड, या Ouija, जिसे बहुत से लोग रहस्यवादी फिल्मों से जानते हैं, आवश्यक है इसमें वर्णमाला के अक्षर, दस प्रथम संख्याएँ और शब्द "हाँ" और "नहीं" हैं। इसके अलावा, इसमें एक तीर है। इसके साथ, आत्माएं सवालों के जवाब देती हैं।
इस बोर्ड का आविष्कार इतने समय पहले नहीं हुआ था। पहला ओइजु एक साधारण घर के खेल के रूप में एलिजा बॉन्ड के साथ आया था। लेकिन उस समय मनोगत के लिए एक बहुत ही सामान्य जुनून था। बॉन्ड के साथी ने सुझाव दिया कि तथाकथित टॉकिंग बोर्ड को एक प्राचीन मिस्र के खेल के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसके साथ पुजारियों ने कथित तौर पर भविष्य की भविष्यवाणी की थी। उसी समय, उसे नाम दिया गया था। "औइजा" मिस्र से "सौभाग्य" के रूप में अनुवादित।
खेल पूरी दुनिया में तेजी से फैल गया हैयूरोप को एक "मनोग्रंथ" के रूप में पेटेंट किया गया है, जो लोगों को मन पढ़ने में मदद करता है। थोड़ी देर बाद, फ्रांस के एलन कारडेक ने इसे आत्माओं के साथ संवाद करने के लिए डिज़ाइन किया गया उपकरण बताया। इसलिए, होम एंटरटेनमेंट से, व्हिगी एक आध्यात्मिक उपकरण बन गया है।
हालांकि अमेरिकी आविष्कारक और रहस्यमयइसका आविष्कार, प्राचीन मिस्र में पहले से मौजूद कुछ ऐसा था, जहां मृतकों की दुनिया का पंथ बहुत विकसित थाः पुजारी नियमित रूप से इसके साथ "संचार" का अभ्यास करते थे, इस पर नक्काशी वाले जादुई प्रतीकों के साथ एक गोल मेज का उपयोग करते थे। सोने की एक अंगूठी को एक लंबे तार पर लटका दिया गया था। जब आत्मा से एक सवाल पूछा गया, तो अंगूठी लहरा रही थी, जैसा कि माध्यमों ने दावा किया, भगवान सेठ की मदद से, और चित्रलिपि की ओर इशारा किया। पुजारी केवल सेट की बातों की व्याख्या कर सकते थे। यह ज्ञात है कि ऐसे तख्तों को, जो देवताओं के साथ संवाद करने के लिए परोसा जाता था, प्राचीन यूनानियों, चीनी और भारतीयों द्वारा उपयोग किया जाता था। वाडजी की मदद से आधुनिक माध्यम मृत लोगों की आत्माओं के साथ संवाद करते हैं, न कि बुतपरस्त देवताओं के साथ।
सबसे लोकप्रिय बोर्ड वाजजी हैं20 वीं शताब्दी की शुरुआत, जब, दो युद्धों के बाद, लोगों ने अपने लाखों प्रियजनों को खो दिया। वे रुचि रखते थे कि मृतक रिश्तेदार की आत्मा को कैसे उकसाया जाए, किसी तरह से उसकी आत्मा के संपर्क में आए। इस समय, बोर्डों का उत्पादन विकसित होता है और बहुत जल्द प्रत्येक माध्यम अपने स्वयं के बोर्ड का अधिग्रहण करता है। यह माना जाता था कि उसके साथ संचार के बाएं निशान पर आत्माओं के साथ संवाद करने के बाद।
वडजी किसी भी प्रजाति की लकड़ी से बनाया जाता है। बोर्ड के चारों ओर आसान आंदोलन के लिए एक सूचक अक्सर तीन लकड़ी की गेंदों से सुसज्जित होता है। आधुनिक सत्रों में इसे अक्सर तश्तरी से बदल दिया जाता है। यह एक खाली खिड़की या एक तेज अंत के साथ अक्षरों और संख्याओं को इंगित करता है। एक सत्र में एक माध्यम या कई प्रतिभागी आसानी से तश्तरी की उंगलियों को छू सकते हैं और आत्माओं के हित के सवाल पर सभी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
समय के साथ, वे महसूस करने लगते हैं कि सूचक स्वतंत्र रूप से पत्र से पत्र की ओर बढ़ता है, लगातार उन्हें चिह्नित करता है और इस प्रकार एक उत्तर बनाता है।
एक शपथ का संचालन कैसे किया जा रहा है?
अनुष्ठान प्रतिभागी मेज पर, चारों ओर बैठते हैंअध्यात्मवाद के लिए बोर्ड फिट बैठता है, मोमबत्तियों की व्यवस्था की जाती है। एक सूचक के रूप में सबसे अधिक बार उपयोग किया जाता है चीनी मिट्टी के बरतन तश्तरी, जो एक तीर खींचता है। फिर इसे एक मोमबत्ती की लौ के ऊपर थोड़ा गर्म किया जाता है और आध्यात्मिक सर्कल के केंद्र में रखा जाता है।
आत्माओं ने एक तश्तरी पर उंगलियां रखीं, बमुश्किलउसे छूना। प्रतिभागियों की उंगलियों को अपने निकटतम पड़ोसी की उंगलियों को छूना चाहिए। इस प्रकार, चक्र बंद हो जाता है। इसके बाद, सत्र में भाग लेने वाले लोग आत्मा को बुलाना शुरू करते हैं, इसे नाम से बुलाते हैं, प्रकट होने के लिए। कॉल को लंबे समय तक दोहराया जाता है, कभी-कभी इस प्रक्रिया में एक घंटे से अधिक समय लग सकता है। ऐसा होता है कि एक आध्यात्मिक भावना बिल्कुल नहीं है।
तश्तरी की उपस्थिति इसकी उपस्थिति का संकेत देगीः दर्शकों के किसी भी प्रयास के बिना, यह मुड़ना शुरू कर देता है और यहां तक कि तालिका के ऊपर भी बढ़ सकता है। यह आत्मा से सवाल पूछने का समय है। आमतौर पर वे माध्यम से निर्धारित होते हैं। पहला प्रश्न अधिमानतः मोनोसाइलेबिक से पूछा जाता है, जिसका अर्थ है कि उत्तर "हाँ" या "नहीं।"
अनुभवी माध्यम चेतावनी देते हैं, अध्यात्मवाद नहीं हैखेल। केवल वे लोग जो हर चीज पर गहराई से विश्वास करते हैं, जो ऐसा कर सकते हैं। आत्माओं बहुत दुष्ट हैंः वे अक्सर कसम खाते हैं और झूठ बोलते हैं। यदि सत्र का संचालन शौकीनों द्वारा किया जाता है, तो सत्यता पर भरोसा करना काफी कठिन है। यह जाँचने के लिए कि क्या आप भाग्य-विद्या से सत्य हैं, उनसे कुछ प्रश्न पूछें, जिनके उत्तर उन लोगों में से किसी एक को अच्छी तरह से ज्ञात हैं।
मृत्यु से संबंधित प्रश्न न करें,हमारी सच्चाई के बाहर आत्मा और आत्मा का जीवन। सत्र के अंत से पहले, विनम्रता से भावना का धन्यवाद करें, तश्तरी को पलट दें और तीन बार मेज पर दस्तक दें, आपको सूचित करते हुए कि आप आत्मा को मुक्त कर रहे हैं।
सत्र के दौरान निषिद्ध हैः
- आत्माओं के साथ दिन में एक घंटे से अधिक संवाद करें, हालांकि अनुष्ठान स्वयं समय में सीमित नहीं है;
- एक सत्र में तीन से अधिक आत्माओं को बुलाना;
- एक सत्र से पहले बड़ी मात्रा में वसायुक्त और मसालेदार भोजन और शराब लें।
अज्ञात के साथ संचार के अधिकांश प्रशंसकबलों का मानना है कि आध्यात्म का आधिपत्य खतरनाक नहीं है। उनका मानना है कि वास्तव में उन लोगों की आत्माएं जिन्हें वे कहते हैं, वे उनके पास हैं और उन्हें भविष्य के बारे में सवालों के विश्वसनीय जवाब देते हैं। लेकिन यह मुख्य गलत धारणाओं में से एक है।
आध्यात्मिकता एक खतरनाक व्यवसाय है, और वे इसके लायक नहीं हैं।बेकार जिज्ञासा के लिए अध्ययन। आध्यात्मिक अध्ययन काफी हानिरहित दिखते हैं, लेकिन केवल पहली नज़र में। अक्सर, नहीं उन आत्माओं सत्र प्रतिभागियों के फोन पर आते हैं।
कॉल किसे आता है?
अगर आप थोड़ा रिसर्च करते हैंयह निर्धारित करने के लिए कि कौन अधिक बार भाग लेने वाले लोगों द्वारा एक नीचता में परेशान है, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह प्रतिभा ए पुश्किन की भावना है। किसी कारण के लिए, हमारे देश में वे आत्माओं कवियों को बहुत पसंद करते हैंः अख्तमातोवा, यसिनिन, वायसोस्की और लेर्मोंटोव में आत्मा की भावनाएं। खैर, इस सूची में अलेक्जेंडर सर्गेइविच अग्रणी हैं।
ऐसे सत्रों में हिस्सा लेते लोगआश्वस्त हैं कि वे प्रसिद्ध लोगों या उनके प्रियजनों और प्रिय लोगों की आत्माओं से मिलते हैं। हालाँकि, यह भ्रामक है। चर्च के लोगों का दावा है कि इस तरह के अनुष्ठानों के दौरान, निचली सूक्ष्म परतों में रहने वाले अंधेरे संस्थान लोगों के पास आते हैं। वे भविष्य की भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं हैं। वे हमारी वास्तविकता में दिखाई देते हैं, न कि उन लोगों के आह्वान पर जो एक नीचता के लिए इकट्ठे हुए हैं।
अध्यात्मवाद का मुख्य खतरा यही हैकि सत्र के अंत में कमरे में बुलाया इकाई रहेगी। आधिकारिक तौर पर, ऐसे मामले होते हैं जब घर में आध्यात्मिक प्रवचन आयोजित करने के बाद एक पॉलीगेटिस्ट उसमें बस जाता है। अध्यात्मवाद के प्रत्येक सत्र के बाद, एक पुजारी को पवित्र करने और कमरे को साफ करने, पोषित सार को बाहर निकालने के लिए आमंत्रित करना आवश्यक है।
20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, आध्यात्मिकतावादी पत्रिका के प्रकाशक,और वह उन दिनों के इस लोकप्रिय प्रकाशन के प्रधान संपादक हैं, वी। पी। ब्यकोव, जो बाद में अध्यात्म से मोहभंग हो गए, उन्होंने कई मामलों का वर्णन किया जिसमें अन्य शक्तिशाली ताकतों के साथ संचार में बेहद निराशाजनक परिणाम हुए। उदाहरण के लिए, 1910 में उन्होंने साइनाइड पोटेशियम, वी। ई। युकुन्चेव को स्वीकार करते हुए आत्महत्या कर ली, जो मॉस्को के चुडोव मठ में एक नौसिखिया था। एक समय वह कई आध्यात्मिक हलकों का सदस्य था।
1911 में एक छात्र ने मरने की कोशिश कीमास्को विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले Tymoshenko। कई वर्षों तक वे अध्यात्म में लगे रहे। उसी समय के आसपास, मॉस्को के सबसे प्रसिद्ध अध्यात्मविदों में से एक, वोरिबीव का निधन हो गया, जिसने एक गंभीर बीमारी के साथ, इलाज से इनकार कर दिया। वह अपने निधन में तेजी लाने के लिए लग रहा था।
बुल्स अपनी यादों में बहुत कुछ लेकर आता हैऐसे मामले जब आध्यात्मिकता के प्रेमियों को समय से पहले मरने की उम्मीद की जाती थी, कभी-कभी रहस्यमय परिस्थितियों में, माध्यमों की भागीदारी के साथ शरारत सत्र के बाद कई दुर्भाग्य के साथ पीड़ित थे।
उन्नीसवीं शताब्दी के सत्तर के दशक में दिमित्रीइवानोविच मेंडेलीव ने "कमीशन फॉर द स्टडी ऑफ मीडियम फेनोमेना" बनाया। इसमें कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक शामिल हैं। आयोग का निष्कर्ष असंदिग्ध थाः आध्यात्मिक घटना अचेतन आंदोलनों से आती है या एक सचेत धोखा है। समिति के सदस्यों के अनुसार, अध्यात्म एक अंधविश्वास है। यह निष्कर्ष मेंडेलीव के ब्रोशर में प्रस्तुत किया गया था "आध्यात्मिकता पर निर्णय के लिए सामग्री।"
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7580502e5ef47e7dd05d3aa82fa6f44b3fb331a3 | web | ऐसा नहीं है कि परिवार के सदस्यों और सगे संबंधियों ने ही अतीत में राजाओं के साथ दगाबाजी करते हुए तख्तापलट किया, बल्कि संसदीय लोकतंत्र में भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं. महाराष्ट्र में रविवार को हुआ सियासी घटनाक्रम इसका ताजा उदाहरण है. मराठा क्षत्रप शरद पवार भी अब उस सूची में शामिल हो गए हैं जिसमें अभी तक ठाकरे, अब्दुल्ला, मुलायम सिंह यादव, बादल और नंदामुरी तारक राम राव उर्फ एनटीआर का नाम शामिल था. इनमें से अधिकांश ने अपनी मेहनत के दम पर वापसी की. अब देखने वाली बात यह है कि पवार अपने करियर की सबसे कठिन और अपमानजनक चुनौती से कैसे निपटेंगे.
पवार ने 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया था और अपने दम पर पार्टी को आगे बढ़ाया. अब उनके सामने बगावत से निपटने की चुनौती है. पवार के लिए इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि यहां अपने विधायकों ने ही उनका साथ छोड़ दिया है. वहीं दूसरी तरफ कई बयानबाजियों के बावजूद भी कांग्रेस में महाराष्ट्र में एकजुट है. पवार अक्सर अपनी पूर्व पार्टी पर कटाक्ष करते रहे हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस में शामिल लोगों को यह स्वीकार करना चाहिए कि सबसे पुरानी पार्टी का प्रभाव अब 'कश्मीर से कन्याकुमारी' तक वैसा नहीं है जैसा पहले हुआ करता था.
पवार को यूपी के उन जमींदारों के बारे में एक किस्सा सुनाना भी पसंद आया था, जिन्होंने अपनी अधिकांश जमीन खो दी है और अपनी 'हवेली' को मेंटेन करने में असमर्थ रहे. यूपी के जमींदारों से कांग्रेस की तुलना करते हुए एक समय उन्होंने कहा था, 'मैंने उत्तर प्रदेश के जमींदारों के बारे में एक कहानी बताई थी जिनके पास बड़ी 'हवेलियाँ' हुआ करती थीं. भूमि हदबंदी कानून के कारण उनकी जमीनें कम हो गईं. हवेलियाँ बची रहीं लेकिन उनकी देखभाल और मरम्मत करने की उनकी कैपिसिटी नहीं रही. जब जमींदार सुबह उठता है, तो वह आसपास हरा-भरा खेत देखता है और कहता है कि यह सारी जमीन उसकी है. यह कभी उनका था, लेकिन अब उनका नहीं है. ' शायद पवार भी यह नहीं जानते होंगे कि वह खुद जल्द ही उसी तरह के जमींदार बन जाएंगे.
नाम, निशान और वजूद की लड़ाई. . . NCP से अजित की बगावत के बाद अब सुप्रिया के पास क्या बचा?
यह भी कहा जा रहै है कि कम से कम 2024 तक तो पवार दो नावों पर सवार होने का इरादा रखते हैं. वह और उनकी बेटी सुप्रिया महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में रहकर विपक्ष में रहेंगे, जबकि दूसरी तरफ 'अग्रिम पार्टी' होगी जिसमें भतीजे अजीत पवार और भरोसेमंद लेफ्टिनेंट प्रफुल्ल पटेल शामिल हैं जो एनडीए में रहेंगे. हालाँकि, सारा दारोमदार इस बात पर रहेगा कि राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाले प्रभावशाली मराठा मतदाता [30 प्रतिशत से अधिक] कैसे अजित पवार के कदम पर प्रतिक्रिया देते हैं.
मराठों का वोटिंग पैटर्न अब तक मिला-जुला रहा है और पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी की तुलना में बीजेपी के ख़िलाफ़ ज़्यादा वोटिंग हुई है. भाजपा के प्रति मराठों की नापसंदगी का एकमात्र कारण यह रहा है कि नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव के बावजूद पवार खुद कभी भी भाजपा की तरफ नहीं गए. विश्वासघात का सबसे दुखद हिस्सा यह रहा है कि पवार को धोखा दुश्मनों ने नहीं अपनों ने दिया.
पवार कर रहे थे कोशिश?
यह एक खुला रहस्य है कि पवार पिछले कुछ हफ्तों से राकांपा नेताओं के बीच एकता की भावना बहाल करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली. राकांपा का एक वर्ग कथित तौर पर भाजपा के साथ बातचीत कर रहा था और कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना [उद्धव] वाले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था. लगातार इनकार के बावजूद यह बात मीडिया में आई थी कि पवार के भतीजे अजित की अमित शाह और अन्य बीजेपी दिग्गजों से मुलाकात हुई थी. एनसीपी प्रमुख के रूप में पवार का इस्तीफा और उसके बाद सुले को एनसीपी प्रमुख के रूप में पदोन्नत करने का उद्देश्य अजीत पवार को रोकना था, लेकिन इसका उलटा असर हुआ.
एनसीपी विभाजन का असर 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा. 2019 के लोकसभा में, भाजपा और तत्कालीन संयुक्त शिवसेना सेना ने 48 लोकसभा सीटों में से 42 सीटें हासिल की थीं. 2024 के लिए अजित पवार की मदद से एनडीए के 2019 के प्रदर्शन को दोहराने की स्क्रिप्ट तैयार करने की कोशिश की जा रही है. राकांपा में विभाजन का न केवल एमवीए पर, बल्कि पश्चिमी महाराष्ट्र में कांग्रेस पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जहां वह राकांपा के साथ गठबंधन में है.
अजित पवार का दलबदल काफी हद तक वैसा ही है जैसे चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एन टी रामाराव को किनारे कर दिया था या जिस तरह से अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव को मात दे दी थी. अजित पवार ने विधायकों के बीच अपना दबदबा दिखाया है.
82 साल के पवार 50 साल से ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने राजनीति में कई उतार और चढ़ाव देखे हैं. साल 1967 में वे 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने. 32 साल की उम्र में पहली बार सीएम बन गए. 45 साल पहले शरद ने भी सत्ता के लिए बगावत कर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी. उन्होंने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत कांग्रेस से की, लेकिन दो बार उसके ही खिलाफ गए और सत्ता में आए. पहली बार 1978 में और दूसरी बार 1999 में.
साल 1977 में आम चुनाव के बाद कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई थी. नाम रखा गया कांग्रेस (I) और कांग्रेस (U). शरद पवार भी बगावत का हिस्सा बने. वे कांग्रेस (U) में शामिल हुए. साल 1978 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव आया और दोनों धड़े एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे. इस बीच, जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और 99 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि कांग्रेस (I) ने 62 और कांग्रेस (U) ने 69 सीटें जीतीं. किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. राज्य में जनता पार्टी ने सरकार बनाने के लिए संभावनाएं तलाशीं. लेकिन, जनता पार्टी को रोकने के लिए I और U ने गठबंधन कर लिया और सरकार बना ली. यह सरकार डेढ़ साल से ज्यादा चली. बाद में जनता पार्टी में फूट पड़ गई और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.
हालांकि, कुछ महीने बाद शरद पवार ने कांग्रेस (यू) से भी बगावत की और जनता पार्टी से हाथ मिला लिया. जनता पार्टी के समर्थन से शरद पवार 38 साल की सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बने. तब देश की राजनीति में इंदिरा गांधी सक्रिय थीं. 1977 की इमरजेंसी के बाद कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही थी. हालांकि, साल 1980 में इंदिरा गांधी सरकार की वापसी हुई तो पवार की सरकार बर्खास्त कर दी गई. बाद में 1986 में पवार कांग्रेस में शामिल हो गए. तब कांग्रेस की कमान राजीव गांधी के हाथों में थी और वो देश के प्रधानमंत्री थे. कुछ ही दिनों में पवार फिर गांधी परिवार के करीब आ गए और 26 जून 1988 में शंकर राव चव्हाण की जगह सीएम की कुर्सी मिल गई. पवार 26 जून 1988 से लेकर 25 जून 1991 के बीच दो बार मुख्यमंत्री बने.
NDA में अजित पवार की एंट्री, एकनाथ शिंदे के लिए कैसे साबित हो सकती है बुरी खबर!
जुलाई 1978. एक उमस भरी दोपहरी में शरद पवार महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंत दादा पाटील के घर पर खाने पर गए थे. बुलावा खुद पाटील ने ही भेजा था. वे अपने इस युवा उद्योग मंत्री (शरद पवार) से कुछ चर्चा करना चाहते थे. कहते हैं कि शरद पवार गए, खाना खाया, बातचीत की और चलते हुए. उन्होंने दादा पाटील के आगे हाथ जोड़े, कहा- दादा, मैं चलता हूं, भूल-चूक माफ करना. . . सीएम वसंत दादा तब कुछ समझे नहीं, लेकिन शाम को एक खबर ने महाराष्ट्र समेत दिल्ली की राजनीति को भी हिला दिया था.
साल था 1999. तारीख 15 मई. कांग्रेस की CWC की बैठक थी. शाम को हुई इस बैठक में अचानक ही शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर की तरफ से विरोध के सुर सुनाई दिए. संगमा ने कहा, सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा बीजेपी लगातार उठा रही है. ये सुनना सोनिया के लिए उतना हैरानी भरा नहीं था, जितना वह अगले व्यक्ति की आवाज सुनकर हुईं. यह कोई और नहीं, शरद पवार थे, जिन्होंने तुरंत ही संगमा की बात का समर्थन किया और अपनी हल्की-मुस्कुराती आवाज में पहले तो संगठन में एकता लाने के लिए सोनिया गांधी की तारीफ की और फिर तुरंत ही अगली लाइन में प्रश्नवाचक चिह्न उछाल दिया.
शरद पवार ने कहा, 'कांग्रेस आपके विदेशी मूल के बारे में बीजेपी को जवाब नहीं दे सकी है. इस पर गंभीरता से विचार की जरूरत है. इस तरह, साल 1999 में शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का विरोध किया और उसके बाद तीनों नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया. महज 10 दिन बाद ही तीनों ने मिलकर 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया.
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e1053a6378cf8b8eb9759bd14f43929442596874058520f88b0b0c293e1a565b | pdf | 10. प्राधिकारी नोट करते हैं कि रॉल अथवा शीट रूप से इतर विनाइल टाइल्स भारतीय बाजार में एक नया उत्पाद है। यह उत्पाद आरंभिक स्तर पर है और संबद्ध सामानों के लिए उत्पादन केवल क्षति की अवधि के दौरान भारत में शुरु हुआ है। भारत में संबद्ध सामानों की मांग भारत में घरेलू उत्पादन शुरु होने से पूर्व विचाराधीन उत्पाद के आयातों द्वारा पूरी की जाती थी।
11. विचाराधीन उत्पाद का विनिर्माण किसी रूप में पीवीसी और कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग करके किया जाता है। कुछ हितबद्ध पक्षकारों ने इस संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की है कि क्या रिसाइकिल पीवीसी का प्रयोग करके विनिर्मित विनाइल टाइलें विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अंतर्गत शामिल हैं। प्राधिकारी नोट करते हैं कि यद्यपि घरेलू उद्योग अपने अपशिष्ट के रूप में पीवीसी में रिसाइकिल्ड और वर्जिन पीवीसी का प्रयोग करता है तथापि वह बाजार से रिसाइकिल्ड पीवीसी नहीं लेता है। किसी भी दशा में, यह नोट किया जाता है कि विभिन्न कच्ची सामग्री का प्रयोग इस उत्पाद को भिन्न नहीं बनाता और इसीलिए वर्तमान मामले में रिसाइकिल्ड तथा वर्जिन पीवीसी का प्रयोग करके विनिर्मित सामान विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल हैं। साफ्ट फ्लोरिंग को विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र से अलग किया गया है क्योंकि इसका विनिर्माण पीवीसी और कैल्शियम कार्बोनेट का प्रयोग करके नहीं किया जाता है।
हितबद्ध पक्षकारों ने दावा किया है कि याचिकाकर्ताओं से उत्पाद में शामिल किए जा रहे नए घटकों को स्पष्ट करने के लिए कहा जाना चाहिए। उत्तर में याचिकाकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि यह उत्पाद अभी आरंभिक स्तर पर है जिसके कारण इसके घटक एक समायावधि में विकसित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, यद्यपि पूर्व में इस उत्पाद की बिक्री बिना कुशन के की जा रही थी, तथापि अब कुशनयुक्त उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। प्राधिकारी नोट करते हैं कि हितबद्ध पक्षकारों ने किसी उत्पाद विशिष्ट घटक का दावा नहीं किया है जिसके आधार पर इसे हटाए जाने की मांग की गई है और इस प्रकार उत्पाद के क्षेत्र में इस कारण किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।
कुछ हितबद्ध पक्षकारों ने इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या विनाइल प्लंक्स विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल हैं। प्राधिकारी नोट करते हैं कि विनाइल प्लंक्स आयताकार में टाइले हैं और इसीलिए विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल हैं।
कुछ हितबद्ध पक्षकारों ने यह तर्क दिया है कि लचीली टाइलों को विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र से अलग किया जाना चाहिए। प्राधिकारी नोट करते हैं कि लचीली टाइलों के संबंध में अन्य हितबद्ध पक्षकारों द्वारा कोई सूचना दायर नहीं की गई है। प्राधिकारी नोट करते हैं कि रिजिड टाइलों में भी लचीलेपन का एक घटक है और लचीलापन वह घटक है जो विनाइल टाइलों की मोटाई और लंबाई से आता है। 2.5 एमएम की विनाइल टाइल 8 एमएम की विनाइल टाइल से अधिक लचीली है। रिकॉर्ड में उपलब्ध सूचना यह दर्शाती है कि संबद्ध सामान फोल्डेड अथवा रॉल्ड होने में अक्षमता के कारण बाजार क्षेत्र में रिजिड विनाइल टाइलों के रूप में जाने जाते हैं। इस प्रकार, टाइलों के लचीलेपन के आधार पर इसे हटाया जाना आवश्यक नहीं है ।
किसी भी हितबद्ध पक्षकार ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया है कि हटाए जाने के लिए अनुरोध किए गए उत्पाद की तकनीकी विशिष्टताएं घरेलू उद्योग द्वारा उत्पादित नहीं की जा सकती।
इस तर्क के संबंध में कि क्या याचिकाकर्ता रॉल फार्म में उत्पादों का विनिर्माण कर रहे हैं, प्राधिकारी नोट करते हैं कि विचाराधीन उत्पाद रॉल अथवा शीट फार्म में विनाइल टाइलों को अलग करता है। याचिककर्ताओं ने यह अनुरोध किया है कि संबद्ध सामान रॉल्ड फार्म में नहीं हो सकते क्योंकि उत्पाद की रॉलिंग अथवा फोल्डिंग से उत्पाद में दरारें आ जाएंगी। प्राधिकारी यह भी नोट करते हैं कि याचिकाकर्ता केवल रॉल अथवा शीट फार्म से इतर विनाइल टाइलों का उत्पादन करते हैं और इसीलिए इन्हें विचाराधीन उत्पाद के क्षेत्र से अलग रखा गया है।
रिकॉर्ड में उपलब्ध सूचना के आधार पर प्राधिकारी नोट करते हैं कि घरेलू उद्योग द्वारा उत्पादित संबद्ध सामानों और संबद्ध देशों से आयातित संबद्ध उत्पाद में कोई ज्ञात अंतर नहीं है। ये दोनों भौतिक विशेषताओं, विनिर्माण प्रक्रिया, प्रकार्य और प्रयोग, उत्पाद विशिष्टियों, वितरण एवं विपणन तथा सामानों के प्रशुल्क वर्गीकरण के संदर्भ में तुलनीय हैं। ये दोनों तकनीकी और वाणिज्यिक रूप से प्रतिस्थापनीय हैं। उपभोक्ताओं ने इन दोनों का परस्पर परिवर्तनीय रूप से प्रयोग किया है और कर रहे हैं। प्राधिकारी नोट करते हैं कि याचिकाकर्ताओं द्वारा विनिर्मित उत्पाद नियमावली के नियम 2 (घ) के अनुसार संबद्ध देशों से भारत में आयात किए जा रहे विचाराधीन उत्पाद की समान वस्तु हैं।
18. अतः, वर्तमान जांच के लिए विचाराधीन उत्पाद संबद्ध देशों के मूल के अथवा वहां से निर्यातित 0.15 एमएम से 0.7 एमएम की रेंज में मोटाई वाली संरक्षी परत के साथ 8 एमएम की अधिकतम टाइल मोटाई और 2.5 एमएम की
न्यूनतम टाइल मोटाई वाली "रॉल अथवा शीट फार्म से इतर विनाइल टाइल" है । टाइल की मोटाई में कुशन की मोटाई शामिल नहीं है। बाजार क्षेत्र में विचाराधीन उत्पाद लग्जरी विनाइल टाइल, लग्जरी विनाइल फ्लोरिंग, स्टोन प्लास्टिक कम्पोजिट, एसपीसी, पीवीसी फ्लोरिंग टाइल, पीवीसी टाइल्स या रिजिड विनाइल टाइल, रिजिड विनाइल फ्लोरिंग के रूप में जाना जाता है और वर्तमान जांच परिणाम में लग्जरी विनाइल टाइल अथवा एलवीटी के रूप में उल्लिखित किया गया है। लग्जरी विनाइल टाइल क्लिक अथवा लॉक यंत्र के साथ अथवा बिना उसके हो सकती हैं। लग्जरी विनाइल टाइल उस विनाइल की किस्म के लिए आमतौर पर उद्योग द्वारा प्रयुक्त शब्द है जो वास्तव में घिसाई और निष्पादन में सुधार लाने के लिए बढ़ाई गई परत के साथ प्राकृतिक सामग्री की दिखावट बताती है। विचाराधीन उत्पाद का प्रयोग आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में फर्शों की कवरिंग के लिए किया जाता है। विचाराधीन उत्पाद शीर्ष 3918 के अंतर्गत सीमा प्रशुल्क अधिनियम के अध्याय 39 के तहत वर्गीकृत है। विचाराधीन उत्पाद का समर्पित सीमाशुल्क वर्गीकरण नहीं है । यद्यपि विचाराधीन उत्पाद 39181090 के तहत वर्गीकरण योग्य है, तथापि, आवेदकों ने दावा किया है कि उत्पाद का आयात कोड 39181010, 39189010, 39189020 और 39189090 के तहत भी हो रहा है । तथापि, सीमाशुल्क वर्गीकरण केवल सांकेतिक है और वर्तमान जांच में विचाराधीन उत्पाद के दायरे पर बाध्यकारी नहीं है।
घरेलू उद्योग का क्षेत्र और आधार
अन्य हितबद्ध पक्षकारों के विचार
घरेलू उद्योग और आधार के संबंध में अन्य हितबद्ध पक्षकारों द्वारा निम्नलिखित अनुरोध किए गए थेः
यह स्पष्ट नहीं है कि नियम 2(ख) के तहत एक व्यापारी के रूप में डब्ल्यूजीबीएल को घरेलू उद्योग के क्षेत्र में कैसे शामिल किया जा सकता है। इस संबंध में, डब्ल्यूजीबीएल के व्यापारिक प्रचालनों के ब्यौरों पर विचार किया जा सकता है कि क्या उनके पास डब्ल्यूएफएल के उत्पाद को बेचने के विशिष्ट अधिकार हैं और क्या वे अन्य उत्पाद बेचते हैं।
यह बात दोहराई जाती है कि पाटनरोधी नियमावली के नियम 2 ( ख ) के अनुसार केवल एक उत्पादक ही घरेलू उद्योग का भाग बनने का पात्र है। चूंकि नियम 2 (ख) में घरेलू उद्योग के भाग के रूप में "व्यापारी" की परिकल्पना नहीं है अतः घरेलू उद्योग के भाग के रूप में उनकी मूल कंपनी (डब्ल्यूआईएल) के व्यापारिक अंग (डब्ल्यूजीबीएल) पर विचार करने के लिए आवेदक उद्योग (डब्ल्यूएफएल) का कोई प्रयास झूठा, गलत माना गया और कानून के समर्थन के बिना है और इसीलिए इसे सीधे ही रद्द किया जाना चाहिए।
घरेलू उद्योग द्वारा उद्धृत मामले के संबंध में यह अनुरोध है कि उद्धृत मामले का इस मामले पर कोई प्रभाव नहीं है क्योंकि नियम 2(ख) घरेलू उद्योग के क्षेत्र से संबंधित है जिसमें उद्धृत मामला एकल आर्थिक कंपनी के तहत किसी निर्यातक से पूरे उत्तर की स्थिति से संबंधित है। अतः, उद्धृत मामले का इस मामले पर कोई प्रभाव नहीं है। इसके विपरीत, घरेलू उद्योग एक भी उदाहरण देने में विफल रहा, जहां प्राधिकारी ने घरेलू उद्योग के भाग के रूप में व्यापारी को माना है अथवा क्षति विश्लेषण या क्षति मार्जिन के लिए उसके खर्चों को शामिल किया है। उपर्युक्त के मद्देनजर यह विनम्र अनुरोध है कि वर्तमान जांच में डब्ल्यूएफएल और डब्ल्यूजीबीएल को एकल आर्थिक कंपनी के रूप में नहीं माना जा सकता। उत्तरदाता माननीय प्राधिकारी से विनम्र अनुरोध करते हैं कि वे कृपया घरेलू उद्योग के अनुरोध को रद्द करें।
उपर्युक्त तथा घरेलू उद्योग के कानूनी रूप से असंधारणीय अनुरोध के पूर्वाग्रह के बिना यह अनुरोध है कि आवेदक उद्योग का यह दावा कि व्यापारिक कंपनी को घरेलू उद्योग माना जाना चाहिए, भी तथ्यों के किसी औचित्य के बिना है। इस संदर्भ में, प्राधिकारी का ध्यान उनकी वार्षिक रिपोर्ट की ओर आकर्षित किया जाता है जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया है कि संबद्ध पक्षकारों के साथ उनके सभी लेन-देन समिपष्ट कीमतों के आधार पर हैं। मामला ऐसा होने पर आवेदक के लिए कानूनी तौर पर और संकल्प मात्र रूप से प्राधिकारी से यह अनुरोध करने का पूर्णतः कोई आधार नहीं है कि वे क्षतिरहित कीमत परिकलन के लिए अथवा क्षति विश्लेषण के लिए डब्ल्यूजीबीएल से संबंधित किसी आंकड़े पर विचार करें।
यह अनुरोध है कि चूंकि डब्ल्यूएफएल अपनी संबद्ध कंपनी को आस-पास (जैसा कि उनकी वार्षिक रिपोर्ट में उल्लिखित है) की कीमतों पर संबद्ध सामानों की बिक्री कर रहा है। अतः, प्राधिकारी को उनकी कीमतों पर विचार करना चाहिए जिन पर डब्ल्यूएफएल ने डब्ल्यूजीबीएल को संबद्ध सामानों की बिक्री की है। |
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